एमबीएम न्यूज/नाहन
शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद वीरेंद्र कश्यप के खिलाफ मतदाताओं का असंतोष बढ़ रहा है। यह बात बीजेपी को भी बखूबी पता चल चुकी है। ऐसे में क्या पच्छाद के युवा विधायक सुरेश कश्यप पर पार्टी दांव खेलती है या नहीं, इस बात पर नजरें टिकी हुई हैं। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में स्थित इस संसदीय क्षेत्र में कोली बिरादरी से ही सांसद बनता आ रहा है। 17 विधानसभा क्षेत्रों में से 7 पर कोली समाज हार-जीत का फैसला करता रहा है। तीन राज्यों में करारी हार मिलने के बाद भाजपा बैकफुट पर है। लिहाजा पावरफुट उम्मीदवारों की तलाश भी होगी।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर 52.32 फीसदी मत हासिल किए थे, जबकि कांग्रेस को 40.91 प्रतिशत वोट पडे़ थे। अन्यों के खातों में करीब 4 प्रतिशत वोट गए थे। शिमला संसदीय क्षेत्र पर वीरेंद्र कश्यप लगातार हारते रहने की वजह से उन्हें भी पप्पू कहा जाने लगा था। लेकिन 2009 में बीजेपी का पप्पू पास हो गया था। 2014 में मोदी लहर में दोबारा लोकसभा में एंट्री मिल गई थी। इस सीट पर सिरमौर के एक निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। हालांकि खुद सांसद वीरेंद्र कश्यप सोलन के रहने वाले हैं, लेकिन चुनाव में खुद को सिरमौर का दामाद बताकर भी वोट हासिल करते रहे हैं।
2009 के चुनाव में वीरेंद्र कश्यप ने धनीराम शांडिल को हराया था। उस वक्त भाजपा का वोट प्रतिशत 50.42 प्रतिशत था, जबकि कांग्रेस को 45.99 फीसदी वोट हासिल हुए थे। इस सीट पर कांग्रेस के दिवंगत नेता केडी सुलतानपुरी ने ही जीत का रिकॉर्ड बनाया हुआ है, जिसका अब टूट पाना असंभव ही है। हालांकि पांवटा साहिब की एक बैठक में 2004 के चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी रह चुके एचएन कश्यप ने भी टिकट के लिए खुलकर दावा ठोका है। कुल मिलाकर देखना यह है कि शिमला संसदीय सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सिपाही कौन बनता है।
ऐसे मोर्चे पर विफल….
2014 में चुनाव प्रचार के दौरान सांसद वीरेंद्र कश्यप ने अफीम की खेती की वकालत कर सबको चौंका दिया था। बेशक ही लोकसभा तक इस मुद्दे को लेकर गए, लेकिन नतीजा शून्य रहा। इसके अलावा सिरमौर के ट्रांसगिरि क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देने को खूब भुनाया। यहां तक की नाहन के चौगान मैदान की चुनावी रैली में दिग्गज नेता राजनाथ सिंह से भी पैरवी करवाई थी। इस मुद्दे पर भी सांसद को मुंह की खानी पड़ी। अब मतदाताताओं में इस बात का संदेश है कि सांसद पांच सालों से गायब ही हैं।