वी कुमार /मंडी
हिमाचल के भोले भाले लोगों को प्रलोभन देकर ठगना कितना आसान है,इसका उदाहरण सामने आया है। इस बार ठगबाजी का शिकार करसोग उपमंडल निवासी डॉक्टर सुरेंद्र कुमार हुआ है। पीड़ित सुरेंद्र कुमार पुत्र गोबिंद राम गांव बरल का रहने वाला है, जो 6 महीने पहले आयुर्वेद विभाग से डॉक्टर के पद से सेवानिवृत हुए है। सुरेंद्र कुमार के साथ ठगी का सिलसिला 10 सितंबर को शुरू हुआ। एफजीआई कंपनी के चार्टड अकाउंटेंट ने सुरेंद्र को फोन करके 6 वर्षों में पैसा डबल करने का प्लान बताया और यह भी कहा कि उसके बाद आजीवन पैंशन भी मिलती रहेगी। फोन पर हुई बात से ही सुरेंद्र के मन में लालच आ गया और पैसा डबल होने के सपनों से उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी। सुरेंद्र ने रिटायरमेंट के बाद मिली पूंजी को कंपनी के पास जमा करवाना शुरू कर दिया। सबसे पहले 4 लाख रूपए कंपनी के पास जमा करवा दिए। इसके बाद पैसा जमा करवाने का सिलसिला जारी रहा और धीरे-धीरे सुरेंद्र ने कंपनी के पास 58 लाख 46 हजार 700 रूपए जमा करवा दिए। सुरेंद्र ने इस बारे में अपने किसी करीबी से बात की तो उसने सुरेंद्र को चेताया कि वह गलत कर रहे है। इसके बाद सुरेंद्र करसोग थाने में पहुंचा और सारी आपबीती सुनाने के बाद पुलिस ने धारा 420 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।
डीएसपी करसोग अरूण मोदी ने मामला दर्ज होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि कंपनी के बारे में सारी जानकारी खंगाली जा रही है और उसके आधार पर पड़ताल को आगे बढ़ाया जाएगा।
राज्य सरकार, प्रशासन और पुलिस विभाग आए दिन साईबर क्राईम को लेकर जागरूकता फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बावजूद इसके शिक्षित लोग ठगबाजों के झांसों में आने से नहीं बच पा रहे हैं। इस मामले में तो यह जानकर हैरानी हो रही है कि डॉक्टर के पद पर तैनात समझदार व्यक्ति भी लालच के फेर में आकर अपनी जिंदगी भर की जमापूंजी को गंवा चुका है।
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