एमबीएम न्यूज़/कुल्लू
अंतरराष्ट्रीय रेसलर द ग्रेट खली के मंडी व सोलन में आयोजित हो रहे कार्यक्रमों की प्रदेश के खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने सराहना की है। खली के रेसलिंग कार्यक्रम को उन्होंने प्रदेश के खेल जगत में बेहतरीन पहल बताया। द ग्रेट खली के जीवन के संघर्ष को समझते हुए खेल मंत्री ने उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की है। पढि़ए मंत्री की टिप्पणी उन्हीं के शब्दों में….
हिमाचल को खली की रेसलिंग से क्या मिलेगा
कई दिनों से यह सवाल मीडिया जगत में गूंज रहा है। एकाएक प्रदेश के तथाकथित राजनेताओं और खेल प्रेमियों में प्रदेश के खजाने और खेलों के विकास की चिन्ता पैदा हो गई, जो प्रदेश के हित में एक अति शुभ संकेत है। पिछले दिनों में उत्पन्न हुई यह चिन्ता हिमाचल प्रदेश में खली की रेसलिंग से प्राप्त होने वाली उपलब्धियों में पहली है, क्योंकि आज से पहले प्रदेश के खेल मैदान, कोर्ट, फ़ील्ड्स सारे वीरान पड़े थे। खली द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम से प्रदेश के खेलों पर पड़ी सूखे की मार छटती नज़र आ रही है।
इस कार्यक्रम को लेकर उन लोगों का सवाल उठाना, जिन्होंने कभी खेलों को राजनीति के सिवा कुछ नहीं समझा, यह साबित करता है कि प्रदेश की जयराम सरकार सच्ची और अच्छी पहल कर रही है। पिछले दिनों मैंने प्रदेश के खेल मन्त्री के नाते एक लाइव टीवी शो में भाग लिया, जिसमें हिमाचल के अतिरिक्त पंजाब और हरियाणा के खेल मन्त्री, अधिकारी, खिलाडी तथा कोच उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम की शुरुआत में जब तीनों राज्यों के खेल परिदृश्य पर एक झलक दिखाई गई तो हिमाचल के हिस्से चार-पांच नामों के अतिरिक्त कुछ नहीं था। कार्यक्रम के उद्घोषक का कहना कि हिमाचल के खेल मैदानों में अकाल की स्थिति बरक़रार मेरे लिए कई प्रश्न खड़े कर गया। प्रदेश के संवेदनशील लोगों को इस कुम्भकर्णी नींद से जगाने के लिए यह कार्यक्रम मील का पत्थर साबित होगा।
हिमाचल के सिरमौर जिला में पैदा हुए, विश्व भर में नाम और शौहरत कमाई लेकिन हिमाचल प्रदेश ने हमेशा इनसे दूरी बनाए रखी, मालूम नहीं क्यों? मैं सर्वप्रथम इनसे जब मिला तो इनके बालक जैसे भोलेपन तथा देश और प्रदेश में कुछ करने की चाह में अमेरिका में अपने सारे कारोबार को छोड़ना मुझे प्रभावित कर गया।
मैंने इनके मन की पीड़ा को भी महसूस किया जो हिमाचली होने पर भी इन्हें हिमाचल में प्यार से वंचित रखा गया, तो मेरे मन में विचार आया कि क्यों न दलीप सिंह राणा के माध्यम से प्रदेश के खेलों को एक नया आयाम दिया जाए। जबकि हिमाचल प्रदेश के लिए सब कुछ करने को तैयार थे, इस प्रकार हिमाचल में रेसलिंग कार्यक्रम करने का विचार पनपा। इस प्रकार के रेसलिंग कार्यक्रम वर्ष 1952 से लेकर लोगों का मनोरंजन करते आ रहे हैं तथा साथ ही खेलों को भी बढ़ावा देते आ रहे हैं।
मैं प्रदेश की जनता को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि प्रदेश की जयराम सरकार प्रदेश को प्रत्येक क्षेत्र में शिखर की ओर ले जाने का जो संकल्प ठाने हुए हैं, उसे हर सूरत में पूरा करेगी। खेलों की यदि बात करे तो यह हमारी सरकार की स्पष्ट सोच का परिणाम है कि वर्षों से खाली पड़े विभिन्न कोचों के पदों को भरने की प्रक्रिया हमने प्रारम्भ कर दी है, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में प्रति वर्ष एक उत्कृष्ट खेल मैदान बनाने की योजना हमनें प्रारम्भ की है। प्रत्येक जिला मुख्यालय में एक इंडोर खेल परिसर का निर्माण हमारी सरकार सुनिश्चित करेगी।
प्रदेश की खेल व युवा नीति करीब 15 से 18 साल पुरानी है, जिसमे हम नवाचार शामिल कर संशोधित कर रहे हैं। हिमाचल में खेलों हिमाचल जैसे महत्वकांक्षी खेल कार्यक्रम हम केन्द्र सरकार की मदद से जल्द शुरू कर रहे हैं। प्रदेश के शीत तथा साहसिक खेलों के लिए हम एक अलग नीति बना रहे हैं। इसके लिए आधारभूत सरंचना उपलब्ध करवाने के लिए हमे केन्द्र सरकार सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त हो गई हैं। जल्द ही वितीय सहायता प्राप्त हो जाएगी, हिमाचल प्रदेश में खेल विश्व विद्यालय, खेल प्रशिक्षण केन्द्र, इंडोर शूटिंग रेंज, स्कीइंग स्लोप जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं पर हम कार्य कर रहे हैं, जिनके परिणाम बहुत जल्द सामने आएँगे।
मैं तो आलोचकों का सदैव सम्मान करता हूँ, लेकिन आलोचना तथ्यों पर आधारित हो तो हमारा मार्ग प्रशस्त करती है। यदि कोई अपनी कुंठा का शमन करने के लिए आलोचना करता है तो अकसर बेकफायर करती है। पिछले कल तक खली की खिलाफ़त करने वालों को जब खली के प्रति प्रेम जागृत हो रहा है तो मतलब साफ़ है कि प्रदेश की जयराम सरकार नेक इरादों और स्पष्ट सोच के साथ आगे बढ़ रही है।