एमबीएम न्यूज / पांवटा साहिब
इसमें कोई दो राय नहीं है, कानून की नजर में जब तक आरोपी को न्यायपालिका दोषी करार नहीं दे देती, तब तक उसे बेकसूर ही माना जाता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या राजनीतिक दलों को इसी बात को आधार बनाकर संगीन जुर्म के आरोपियों को तवज्जो देनी चाहिए या नहीं। दरअसल हुआ यूं कि हाल ही में 13 अप्रैल को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर गुरु की नगरी पहुंचे थे।
सीएम को सम्मानित करने के दौरान मंच पर भाजपा समर्थित जिला परिषद सदस्य राम प्रसाद भी मौजूद थे। हालांकि उस वक्त भी चर्चा शुरू हो गई होगी, लेकिन अब सोशल मीडिया में गुपचुप तरीके से चर्चा हो रही है। क्योंकि भाजपा जिला परिषद सदस्य पर गुमशुदा लडक़ी की लाश मिलने के बाद हत्या के कथित आरोप लगे थे।
एक अरसे तक न्यायिक हिरासत में भी रहना पड़ा था। उस समय तक पुलिस की तफ्तीश में यह बात आई थी कि खेतों में लगाई गई बिजली की तारों से करंट लगने के कारण बच्ची की मौत हो गई, जिसके शव को गुपचुप तरीके से दफना दिया गया। कुछ समय बाद शरीर का आधा हिस्सा बरामद होने से सनसनी फैल गई थी। कुल मिलाकर यह पाठकों को ही तय करना है कि आरोपी रहे शख्स को मंच पर तवज्जो दी जानी चाहिए थी या नहीं।
सनद रहे कि बच्ची जामनीवाला स्कूल में पढ़ती थी। गुमशुदगी के मामले ने काफी तूल पकड़ा था। बच्ची 7 अगस्त को लापता हुई थी, जिसकी लाश का कुछ हिस्सा 15 दिन बाद नदी के किनारे बरामद हुआ था। उधर इस बाबत पांवटा साहिब के विधायक व पूर्व सीपीएस सुखराम चौधरी से पार्टी का पक्ष पूछा गया तो हल्के अंदाज में बोले, इसमें क्या हुआ अगर जिला परिषद सदस्य मंच पर मौजूद था। चौधरी ने कहा कि करंट लगने से बच्ची की मौत हुई थी। जमानत भी कोर्ट ने ही दी है। बेकसूर भी साबित हो जाएगा।