मनाली (एमबीएम न्यूज ब्यूरो) – अंर्तराष्ट्रीय पर्यटन नगरी में देश में बढते नशे के प्रकोप व चुनौतियों के समाधान के विषय पर तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित हो रहा है। दरअसल इस आयोजन के लिए मनाली को ही क्यों चुना गया इसको लेकर समूचे प्रदेश में खासी चर्चा हो रही है। सीधी वजह यही हो सकती है कि पर्यटन नगरी अब अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर नशे खासकर चरस के इस्तेमाल को लेकर अपनी पहचान बना चुकी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है ‘‘मलाणा क्रीम’’। इसका इस्तेमाल करने वाले बखूबी जानते है इसकी खासियत। गौरतलब है कि इस सम्मेलन में वरिष्ठ न्यायाधीश अपने विचार रख रहे है। साथ ही सीएम वीरभद्र सिंह ने भी मलाणा क्रीम का जिक्र किया। जो लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते है उन्हें नहीं पता कि दरअसल मलाणा क्रीम होती क्या है। अगर आंकडों पर गौर किया जाए तो 31 मई, 2015 तक एनडीपीएस एक्ट के तहत राज्य में 4400 के आसपास मामले दर्ज हुए इसमें से 22 प्रतिशत का आंकडा अकेले कुल्लू जिला से ही जुडा हुआ है। लिहाजा साफ है कि सम्मेलन के पीछे मकसद यहीं होगा कि देवभूमि की यह खूबसूरत वादियां अपने मनमोहक नजारे के लिए पहचान बनाएं ना कि नशे के लिए।
क्या है मलाणा क्रीम ?
यहां उन लोगों को मलाणा क्रीम के बारे में बताना जरूरी है जो लोग चरस का इस्तेमाल नहीं करते है। अगर गौर किया जाएं तो मुंबई के केसी कॉलेज के 10 युवाओं ने कुल्लू में 2 हफते से अधिक समय गुजारा साथ ही यह पता लगाने की कोशिश की कि लोगों की भांग उगाने को लेकर क्या मजबूरी है। मलाणा गांव का कानून भी अपना है साथ ही कुदरत ने इस गांव को ऐसी चीज दी है कि पूरे विश्व में नहीं है क्योंकि यहां उगने वाली भांग से जो चरस बनती है उसे ही मलाणा क्रीम कहा जाता है। मुंबई से आए युवाओं ने लोगों से जब कारण जानने की कोशिश की थी तो उनका कहना था कि जीवनयापन का एकमात्र साधन यही है।
क्यों है गांव अलग ?
मलाणा एक प्राचीन गांव है। पार्वती घाटी के छोर पर स्थित यह गांव शेष देश से पृथक करीब 9938 फीट की उंचाई पर स्थित इस गांव के लोग आधुनिक सभ्यता से अब भी अलग है। इस गांव की अपनी जीवनशैली है। ग्रामीण अपने रीतिरिवाजों का सख्ती से पालन करते है। ऐसा भी बताया जाता है कि गांव के अपने कायदे कानून है। यह भी कहते है कि पूरे विश्व में इस गांव की लोकतांत्रिक व्यवस्था अलग है। ग्रामीण स्थानीय देवता जमलू ऋषि के आदेश की पालना करते है।