शिमला (एमबीएम न्यूज़): ढली थाना में तैनात लेडी कांस्टेबल राजवंती अपनी वर्दी का अपमान नहीं सह पाई, यही कारण था कि कांग्रेस नेत्री आशा कुमारी को चांटे का जवाब चांटे से देने के लिए मजबूर हो गई थी। हालांकि जब लेडी सिंघम ने विधायक आशा कुमारी को तमाचा जड़ा तो उस समय नहीं जानती थी कि सामने कांग्रेस की कौन सी शख्सियत मौजूद है, लेकिन अब जानने के बाद भी वर्दी की तौहीन को लेकर क़ानूनी लडाई लड़ने को कमर कस चुकी है।
लेडी सिंघम की माने तो आशा कुमारी ने एक बार नहीं, बल्कि तीन बार उस पर हाथ उठाया। अहम बात यह है कि कांस्टेबल मिले आदेश की पालना कर रही थी, जो उसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर मिले थे। संभवत: सोशल मीडिया से कांस्टेबल राजवंती को साहस मिला है।
लेडी कांस्टेबल राजवंती का कहना है कि कांग्रेस नेत्री ने उनसे किसी भी तरह की माफी नहीं मांगी है यह अलग बात है कि मीडिया के सामने माफी मांगी। दबाव के बारे में पूछे एक सवाल के जवाब में लेडी कांस्टेबल ने कहा कि अब इंसाफ लेकर रहेंगी,चाहे कुछ भी हो।
मूलत: रोहडू उपमंडल की रहने वाली कांस्टेबल राजवंती ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि वह शुरू से ही हिम्मती है। महज चार साल पहले ही पुलिस विभाग में तैनात हुई थी। अस्वस्थ पिता चैकअप के लिए आए थे, लेकिन बावजूद इसके पिता की अस्वस्थता को नजर अंदाज कर अपनी डयूटी को कर्त्तव्यपरायणता से निभाने की कोशिश कर रही थी।
सनद रहे कि इस मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बैठक में कांग्रेस नेत्री को लताड़ लगाई थी। कुछ समाचारपत्रों में कांग्रेस नेत्री आशा कुमारी के साक्षात्कार प्रकाशित हुए हैं। इसमें उन्होंने कहा कि वह एक राजपुतानी है, लिहाजा गुस्सा आ गया, जो नहीं आना चाहिए था। पूरे मामले में बैकफुट पर नजर आई विधायक आशा कुमारी ने घटना के बाद नरम रुख अपनाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन आलोचनाओं से नहीं बच सकी।
यहां तक की सोशल मीडिया में अब भी कांग्रेस नेत्री आशा कुमारी की घेराबंदी चल रही है। एक तर्क यह भी आया है कि थप्पड़ का जवाब थप्पड़ से देने की बजाए पुलिस अगर कांग्रेस नेत्री को हिरासत में ही ले लेती तो बेहतर होता। बहरहाल वीडियो के आधार पर मामला दर्ज हो गया है। देखना है कि पुलिस अब कांग्रेस नेत्री आशा कुमारी से कब पूछताछ कर जांच को आगे बढ़ाती है।