हमीरपुर (एमबीएम न्यूज) : स्कूल टाईम में शराब पीकर हुड़दंग मचाने वाले पांचों विद्यार्थियों को स्कूल से एक सप्ताह के लिए निष्कासित कर दिया है। हमीरपुर के सरकारी स्कूल से जुड़े इस मामले पर स्कूल की शिष्टाचार कमेटी ने यह निर्णय लेते हुए विद्यार्थियों को अभिभावकों के हवाले कर दिया है।
विद्यार्थी सप्ताह तक स्कूल नहीं आएंगे, अभिभावकों की नजर में रहेंगे। अभिभावक इन्हें एक सप्ताह तक सुधारने में सफल होते हैं तो विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश दे दिया जाएगा। इसके बाद अध्यापक इनकी गतिविधियों पर नजर रखेंगे। यदि कहीं पर फिर गड़बड़ का अंदेशा हुआ तो स्कूल से बाहर कर दिए जाएंगे।
स्कूल शिष्टाचार कमेटी का मानना है कि चंद विद्यार्थियों की वजह से अन्य विद्यार्थी भी बिगड़ सकते हैं। लिहाजा स्कूल के माहौल में शिष्टाचार व पढ़ाई बनाए रखने के लिए ऐसा कदम उठाया गया है। वहीं यह भी बताया जा रहा है कि इसी स्कूल में चार अन्य विद्यार्थी भी अध्यापकों ने लाईन हाजिर किए हैं। इन पर भी शरारतों के साथ साथ नशे से जुड़ी सामग्रियां मिलने का अंदेशा है। स्कूल प्रधानाचार्य ने यह सारा कदम अभिभावकों व एसएमसी कमेटी की सहमति से उठाया है।
यहां बता दें कि हमीरपुर के एक सरकारी स्कूल में अध्ययनरत पांच विद्यार्थियों ने स्कूल टाईम में दारु पी ली। बाद में सभी विद्यार्थी अध्यापकों के हाथ चढ़ गए। इस वारदात के बाद प्रार्थना सभा में पांचों विद्यार्थियों के अभिभावकों को बुलाया गया। अभिभावकों को जब बच्चों की हरकत का पता चला तो उन्होंने पूरे स्कूल के विद्यार्थियों के सामने पिटाई की रजामंदी दिखाई। अन्य विद्यार्थियों को भी प्रार्थना सभा में इसका सबक दिया गया।
बताया जा रहा है कि अभिभावकों के साथ संबंधित पंचायत के उपप्रधान ने भी स्कूल में पहुंचकर इस दंड पर सहमति जताई है। जानकारी के मुताबिक एक सरकारी स्कूल में लंबे समय से अनुशासनहीनता का माहौल बना हुआ था। स्कूल मुखिया से सेवानिवृत हो गए। नए प्रधानाचार्य ने जब स्कूल का दायित्व सभांला तो यहां पर काफी कमियां नोट की गई। इन कमियों को दूर करने का सिलसिला शुरू हुआ। स्टाफ ने भी प्रधानाचार्य के इस कदम के साथ कदम मिलाते हुए स्कूल का नक्शा तबदील कर दिया।
इस स्कूल में पहले भी कुछ विद्यार्थियों के बैग में गुठखा, खैनी व बीड़ी अध्यापकों ने पकड़ी थी। प्रधानाचार्य को पहले की स्थिति भी दिखाई गई। उस समय जब संबंधित विद्यार्थियों के अभिभावकों को स्कूल बुलाया तो वह नहीं आए। प्रबंधन ने भी बात को टाल दिया। अब नए प्रधानाचार्य सुधार में लगे थे कि इस सारे कार्य में एसएमसी कमेटी के प्रधान ने भी सुधार पर अपनी सहमति जताते हुए हर कदम में सहयोग देना शुरू कर दिया।