सोलन (एमबीएम न्यूज) : हिमाचल प्रदेश का सबसे दुर्गम जिला लाहौल-स्पीति के ताबो में प्रदेश का 13वां कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) खुलेगा। डा.वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी प्रशासन के अथक प्रयासों के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने लाहौल-स्पीति के ताबो में नया कृषि विज्ञान केंद्र खोलने को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस केंद्र के खोलने के उपरांत भारतवर्ष में लाहौल-स्पीति जिला ऐसा प्रथम जिला बनेगा,जहां दो कृषि विज्ञान केंद्र काम करेंगे।
जानकारी के मुताबिक हिमाचल के दुर्गम जिला लाहौल-स्पीति में प्रदेश का 13वें कृषि विज्ञान केंद्र को खोलने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने मंजूरी प्रदान कर दी है। हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक जिला में एक कृषि विज्ञान केंद्र संचालित है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा देश के किसी भी राज्य के प्रत्येक जिला में केवल मात्र एक ही कृषि विज्ञान केंद्र खोलने की व्यवस्था की गई है। हिमाचल प्रदेश में भी नियमानुसार सभी बारह जिलों में एक-एक कृषि विज्ञान केंद्र खोला गया है।
परंतु डा.वाईएस परमार यूनिवर्सिटी नौणी प्रशासन के कड़े परिश्रम से लाहौल-स्पीति के दुर्गम क्षेत्र ताबो में प्रदेश के 13वें कृषि विज्ञान केंद्र को खोलने के लिए आईसीएआर ने सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी प्रदान कर दी है। इस केंद्र के खुलने के बाद लाहौल-स्पीति जिला में दो कृषि विज्ञान केंद्र हो जाएंगे। डा.वाईएस परमार यूनिवर्सिटी नौणी के वर्तमान उपकुलपति डा.विजय सिंह ठाकुर ने आईसीएआर के समक्ष ताबो में केवीके खोलने की मांग मजबूती के साथ उठाई थी।
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो कुछ समय पूर्व उत्तराखंड में आईसीएआर द्वारा एक उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में देश में स्थापित 73 कृषि विश्वविद्यालयों के उपकुलपति एवं वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भाग लिया। नौणी विवि के वीसी डा. विजय सिंह ठाकुर ने इस बैठक में लाहौल-स्पीति के ताबो में केवीके खोलने की मांग को प्रभावी ढंग से पूरे तथ्यों के साथ रखा था। डा. विजय सिंह ठाकुर ने बैठक में तथ्य रखा था कि 7 लाख, 58 हजार हैक्टेयर भूमि के क्षेत्रफल वाले लाहौल स्पीति जिला में जनसंख्या घनत्व देश में सबसे कम है।
बारिश न होने की वजह से जिला का ज्यादातर क्षेत्र सूखे की चपेट में रहता है। विजय ठाकुर ने बैठक में यह भी पक्ष रखा था कि लाहौल-स्पीति में कृषि तथा बागबानी काफी पिछड़ी हुई है तथा यहां के किसानों की आर्थिकी स्थिति काफी नाजुक है। जबकि नौणी विवश्वविद्यालय ताबो में सेब की सर्वोत्तम किस्म को तैयार करने में सफल रहा है। ऐसे में यहां कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना करके जिला में कृषि तथा बागबानी को पंख लगाए जा सकते हैं। नौणी विवि के वीसी डा.विजय सिंह ठाकुर द्वारा बैठक में ताबो में केवीके खोलने के मजबूती के साथ रखे गए पक्ष का ही परिणाम हैं कि आईसीएआर ने इसे सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी प्रदान कर दी है।
ताबो में खुलने वाले कृषि विज्ञान केंद्र को 11 हैक्टेयर भूमि पर विकसित किया जाएगा। इस केंद्र में सात वैज्ञानिकों के अलावा नौ अन्य स्टाफ रहेगा। यहां बताते चले कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में कुल 12 कृषि विज्ञान केंद्र संचालित है। इसमें जिला बिलासपुर के बरठी में, मंडी के सुंदरनगर में,हमीरपुर के बड़ा में,किन्नौर के शरबो,लाहौल-स्पीति के कुकुमारी, जिला सिरमौर के धौलाकुआं, शिमला के रोहडू, कुल्लू के बिजौरा, सोलन के कंडाघाट, चंबा, कांगड़ा व ऊना में कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित हैं। इसमें से कुल्लू, कांगड़ा, बिलासपुर,ऊना मंडी, लाहौल-स्पीति व हमीरपुर कृषि विज्ञान केंद्र पालमपुर विवि के अधीन संचालित होते हैं। जबकि चंबा, किन्नौर, शिमला, सोलन व सिरमौर जिला के केंद्र डा.यशवंत सिंह परमार विवि नौणी के अधीन है।
वहीं इस बारे डा.वाईएस परमार यूनिवर्सिटी नौणी के वीसी डा. विजय सिंह ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के जिला लाहौल-स्पीति के ताबो में प्रदेश का 13वां कृषि विज्ञान केंद्र खुलेगा। आईसीएआर ने इसके लिए मंजूरी प्रदान कर दी है। ताबो केवीके किसानों तथा बागबानों के लिए भविष्य में वरदान साबित होगा।