शिमला, 18 दिसंबर : विश्व भर में एक अलग पहचान बनाने वाली अटल टनल की शिलान्यास पट्टिका को लेकर सियासत चल रही है। सूबे की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक बड़ी बात कह डाली, इसके मुताबिक पांच दिन के भीतर शिलान्यास पट्टिका को दोबारा लगा दिया जाएगा।
बड़ा सवाल यह भी है कि क्या रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बगैर शिलान्यास पट्टिका को लगाया जा सकता है या नहीं। जानकारों की मानें तो बीआरओ (BRO) को यदि रक्षा मंत्रालय मंजूरी प्रदान करता है, तो उस सूरत में ही शिलान्यास पट्टिका को लगाया जा सकता है, क्योंकि अटल टनल सीधे तौर पर बीआरओ (Border Road Organization) के नियंत्रण में है, इसमें प्रदेश सरकार की भूमिका नहीं है। ये अलग बात है कि सुक्खू सरकार केंद्र से अनुमति का इंतजाम कर ले।
28 जून 2010 को सोनिया गांधी ने नेशनल एडवाइजरी काउंसिल( National Advisory Council) की चेयरपर्सन के नाते अटल टनल का शिलान्यास किया था, हालांकि उस समय इसे रोहतांग सुरंग का नाम दिया गया था, लेकिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल को देश की राजनीति के स्तंभ दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया था। इसमें कोई दो राय नहीं है कि दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी ने सुरंग के निर्माण का सपना देखा था,उन्हें यह सपना बचपन के दोस्त ने दिखाया था। अटल टनल की शिलान्यास पट्टिका पर सियासत में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बयान में यह भी साफ़ किया कि सरकार टनल का नाम नहीं बदलने जा रही है, बल्कि शिलान्यास पट्टिका को लगाया जाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुरंग का उद्घाटन 3 अक्टूबर 2020 को किया गया था।
सुरंग के उद्घाटन के बाद लाहौल स्पीति कांग्रेस ने केलांग पुलिस थाना में शिलान्यास पट्टिका को लेकर एफआईआर भी दर्ज करवाई थी। 09 फरवरी 2022 को एक ऐतिहासिक समारोह के दौरान अटल टनल को आधिकारिक रूप से वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (world Book Of Records) द्वारा ‘10,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग के रूप में प्रमाणित किया गया था।
सीएम सुक्खू ने 16 दिसंबर 2022 को ट्वीट कर कहा था कि न अटल टनल का नाम बदलेगा न पट्टिका हटेगी, लेकिन रोहतांग टनल का शिलान्यास करने वालों की पट्टिका भी जरूर लगेगी। देखना ये होगा कि पांच दिन के भीतर शिलान्यास पट्टिका को लगाने वाला सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू का बयान सही साबित होता है या नहीं।