शिमला, 15 दिसंबर : हिमाचल प्रदेश के दाड़लाघाट व बरमाणा स्थित सीमेंट उद्योग बंद होने से एक बड़ा सवाल भी पैदा हुआ है। उद्योगों ने ठीक उस समय तालाबंदी की है, जब राज्य में कांग्रेस सरकार को बने एक सप्ताह भी नहीं हुआ है। सरकार बनते ही सीमेंट के दाम बढाने का फरमान जारी कर दिया गया। इसके जवाब में सरकार ने बैठक बुलाकर दामों को घटाने की कसरत शुरू कर दी। परिणाम तालाबंदी का हुआ।
संशय जाहिर किया जा रहा है कि सरकार पर दबाव बनाने की वजह से तालाबंदी तो नहीं की गई है। विवाद से जुड़ी तीन बातें है, पहली ये कि क्या सीमेंट न मिलने से विकास कार्यो पर असर पड़ेगा। दूसरी ये कि कर्मचारियों को रोजी रोटी के लाले पडेगें। तीसरी बात ट्रांसपोर्ट्स से जुडी है। उधर, जहां तक सीमेंट की किल्लत का सवाल है तो सीमेंट कोर्पोरशन ऑफ़ इंडिया (CCI) का राजबन प्लांट रोजाना 600 से 700 मीट्रिक टन उत्पादन कर रहा है।
बताते है कि सीसीआई द्वारा कुल उत्पादन की 40 प्रतिशत सप्लाई ही हिमाचल में की जाती है। CCI में भी भाड़े का इशू रहता है। सरकार के सामने कामगारों व कर्मचारियों की रोजी रोटी सबसे बड़ी चुनौती को सकती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हिमाचल में ट्रांसपोर्ट्स की ऊंची दरों को लेकर उद्योग जगत सवाल उठाता रहा है। इसको लेकर ठोस निति ही नहीं बन पाई।
तालाबंदी के बाद सीमेंट फैक्टरी प्रबंधन और ट्रांसपोर्टर्स के मध्य विवाद बढ़ गया है। दाम घटाने के दबाव में उद्योगों ने सीधे ही तालाबंदी का फैसला ले लिया। इसके बाद माल भाड़े को लेकर कंपनी प्रबन्धन और ट्रांसपोर्टर आमने सामने हो गए है। एक तरफ जहां कंपनी प्रबन्धन माल भाड़ा कम करने की बात पर अड़ गया है, तो वहीं दूसरी तरफ ट्रांसपोर्टर्स इसे बढ़ाने की मांग कर रहे है। उद्योगों ने तलबन्दी की ये वजह बताई है कि सीमेंट की ढुलाई के किराए में भारी वृद्धि होने से नुकसान हो रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि करीब 5 हजार लोगों के रोजगार पर तलवार लटक गई है।
वहीं वीरवार को हिमाचल के मुख्य सचिव ने सोलन व बिलासपुर के उपायुक्तों को दोनों पक्षों के साथ बैठक कर मामला सुलझाने के निर्देश दिए है। अंतिम जानकारी के मुताबिक बैठक बेनतीजा रही। पिछले दिनों बीडीटीएस यूनियन के सदस्यों व एसीसी प्रबंधन में समझौता भी हुआ था कि प्रतिदिन बीडीटीएस यूनियन के ट्रकों को 08 हजार मीट्रिक टन सीमेंट व 02 हजार मीट्रिक टन क्लिंकर ट्रांसपोर्टेशन के लिए दिया जाएगा। लेकिन समझौते के अनुसार इन्हें सीमेंट व क्लिंकर नहीं दिया जा रहा था। बावजूद इसके एसीसी आधे से भी कम डिमांड प्रदान कर रही है।
ट्रक ऑपरेटर्स ने माल ढुलाई भाड़ा 11.41 रुपये देने की मांग की है। जबकि एसीसी कंपनी 06 रुपये देने की बात कह रही है। वहीं एसीसी कंपनी पर ताला लगने के बाद उपायुक्त बिलासपुर द्वारा एसीसी प्रबंधन व बीडीटीएस पदाधिकारियों के साथ बैठक की। हालांकि यह बैठक बेनतीजा रही और 20 दिसम्बर को दोबारा बैठक होगी। जिसमें मामले को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा।