शिमला, 12 दिसंबर : हिमाचल प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री बने सुखविंदर सिंह सुक्खू बेहद साधारण परिवार से उठकर आये हैं। उनका जीवन ही ऐसा रहा है कि जोकि किसी के लिए भी प्रेरणा स्रोत हो सकता है। ड्राइवर के बेटे सुक्खू अपने संघर्ष, संयम और साधना की बदौलत आज मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हैं।
बचपन में बेचा अखबार और दूध…
सुखविंदर सिंह सुक्खू का बचपन काफी मुश्किलों में गुजरा। पिता रसील सिंह शिमला में हिमाचल रोडवेज ट्रांसपोर्ट में ड्राइवर थे। पिता की सैलरी इतनी ज्यादा नहीं थी। सत्तर-अस्सी के दशक में जब सुक्खू स्कूल-कॉलेज में पढ़ रहे थे। तब अपना खर्च निकालने के लिए छोटा शिमला में अखबार व दूध बेचा करते थे। पढ़ने का शौक ऐसा था कि अखबारों को वे खुद भी पढ़ा करते थे।
घर में श्यामा कहकर बुलाते थे परिवारजन, कई जगह से मिला नौकरी का ऑफर…
सुक्खू को उनके परिवारजन घर में श्यामा कहकर बुलाते हैं। यह उनका निक नेम रहा है। सुक्खू की मां ने एक टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में बताया कि सुक्खू बचपन में काफी नटखट होने के साथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं। सुक्खू को कई नौकरियों के ऑफर भी मिले, लेकिन बेटे ने तब किसी नौकरी को तवज़्ज़ो नहीं दी। मां ने उन्हें हमेशा नेक रास्ते पर चलकर पैसा कमाने की प्रेरणा दी।
नब्बे के दशक में चलाया पीसीओ…
सुक्खू पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री पंडित सुखराम के करीबी रहे। नब्बे के दशक में जब प्रदेश में पंडित सुखराम संचार की क्रांति लेकर आये, तो उन्होंने छोटा शिमला में एक पीसीओ भी चलाया।
28 वर्ष की आयु में बने शिमला नगर निगम के पार्षद….
छात्र राजनीति में सुक्खू अपनी अच्छी पैठ बना चुके थे। सँजोली कॉलेज के बाद छात्र राजनीति के गढ़ एचपी यूनिवर्सिटी में एलएलबी की पढ़ाई के दौरान उन्होंने एनएसयूआई की आवाज़ बुलंद की और कई वर्षों तक इस छात्र संगठन के राज्य अध्यक्ष रहे। इसी दौरान वह युवा नेता के तौर पर उभरे। उनकी कांग्रेस के बड़े नेताओं से जान-पहचान बढ़ी।
हिमाचल कांग्रेस के दिग्गज पंडित सुखराम ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को राजनीति में आगे बढ़ाया। गांधी परिवार की करीबी विद्या स्टोक्स और विप्लव ठाकुर की मदद से वह राजीव गांधी के संपर्क में आए और धीरे-धीरे गांधी परिवार के विश्वासपात्र बन गए।
वर्ष 1992 में उन्होंने छोटा शिमला से नगर निगम के पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। वर्ष 1998 में दूसरी बार निगम पार्षद चुने गए। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा, और राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते रहे। वर्ष 2003, 2007, 2017 और 2022 में नादौन से कांग्रेस के विधायक बने। वर्ष 1998 से 2008 तक प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2013 से 2019 तक प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष रहे। 11 दिसंबर को उन्होंने हिमाचल के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।