बिलासपुर, 01 अप्रैल : छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों में वर्ष 2022 में फीस बढ़ोतरी तथा लक्षित दुकानों से ड्रेस व किताबों की खरीद पर रोक लगाने के पंजाब सरकार के निर्णय का स्वागत किया है। संघ ने इसे छात्र-अभिभावक हितैषी निर्णय बताया है। मंच ने हिमाचल प्रदेश सरकार से भी इस निर्णय को प्रदेश में लागू करने की मांग की है। मंच ने चेताया है कि अगर प्रदेश में फीस वृद्धि,किताबों व ड्रेस की कमीशनखोरी पर रोक न लगी तो मंच 5 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय शिमला पर प्रदर्शन करेगा।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा, सदस्य विवेक कश्यप, कमलेश वर्मा, योगेश वर्मा, भुवनेश्वर सिंह, हेमंत शर्मा, राजीव सूद, राकेश रॉकी, जय सिंह, अमित राठौर, राजकुमार, फालमा चौहान, सत्यवान पुंडीर, सोनिया सबरवाल, अंजना मेहता, प्रकाश रावत, संदीप वर्मा, मीनाक्षी कश्यप व भावना ने वर्ष 2022 में फीसों में 8 प्रतिशत फीस वृद्धि तथा ड्रेस व किताबों की कीमतों में 15 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की कड़ी निंदा की है। साथ ही प्रदेश सरकार से इस पर तुरंत पंजाब सरकार की तर्ज़ पर रोक लगाने की मांग की है।
उन्होंने फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए 5 दिसम्बर 2019 के उच्चतर शिक्षा निदेशालय हिमाचल प्रदेश के आदेश को सख्ती से लागू करने की मांग की है। उन्होंने उच्चतर शिक्षा निदेशक से मांग की है कि वह अपने आदेशों को सख्ती से लागू करें, ताकि निजी स्कूलों की मनमानी लूट,फीस वृद्धि व गैर कानूनी फीस वसूली पर रोक लगे।
मंच संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि 5 दिसम्बर 2019 को उच्चतर शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों की आम सभा की सहमति के बगैर किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के अनुसार हर वर्ष फीस निर्धारण के लिए निजी स्कूलों में 15 मार्च से पूर्व आम सभाएं आयोजित होनी चाहिए, परन्तु 15 मार्च बीतने के बावजूद भी अभी तक किसी भी निजी स्कूल ने आम सभा का आयोजन नहीं किया है।
इन स्कूलों ने पिछले दो वर्षों में भी कोई आम सभाएं आयोजित नहीं की, जिसके कारण इन स्कूलों में पन्द्रह से 50 प्रतिशत तक की फीस बढ़ोतरी करके अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ लादा गया। इस वर्ष भी निजी स्कूल आम सभाएं आयोजित करने में आनाकानी कर रहे हैं। इससे साफ है कि निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश को नहीं मानना चाहते। वे एक बार पुनः भारी फीस वृद्धि करके मनमानी फीस वसूलना चाहते हैं।
शिक्षा निदेशालय ने भी निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में अपने ही आदेशों पर चुप्पी साध ली है। इस तरह निजी स्कूलों को मनमानी करने की एक बार पुनः इजाज़त मिल गयी है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार व शिक्षा निदेशालय की नाकामी व उसकी निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी करते रहे हैं। वे कोरोना काल में भी टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज,कंप्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम, मिसलेनियस, केयरज़, स्पोर्ट्स, मेंटेनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिबिल्डिंग फंड, ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्जेज़ वसूलते रहे हैं। इन स्कूलों ने बड़ी चतुराई से कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज़्यादा हिस्से को टयूशन फीस में बदल कर लूट को जारी रखा है।
इस वर्ष भी आम सभाएं आयोजित न करके वे मनमानी फीस वसूलना चाहते हैं, जिसे अभिभावक कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे व इसके खिलाफ लामबंद होंगे।