सुंदरनगर, 22 मार्च : राज्यस्तरीय नलवाड़ मेला आधुनिकता की बलि चढ़ता जा रहा है। जहां जिला की संस्कृति में यहां आयोजित होने वाले मेलों का विशेष महत्व है।
वहीं मेलों के स्वरूप में आ रहे बदलाव से पुरातन संस्कृति को संजोए रखने के लिए प्रशासन जुटा हुआ है। इसके तहत कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों उपरांत ऋषि ब्यास के पुत्र शुकदेव मुनि की तपोस्थली सुकेत सुंदरनगर का सात दिवसीय ऐतिहासिक राज्यस्तरीय नलवाड़ मेला मंगलवार को आरंभ हो गया। इसका विधिवत शुभारंभ प्रदेश भाजपा महामंत्री एवं विधायक सुंदरनगर राकेश जंवाल ने नगौण खड्ड में खूंटी गाड़कर जवाहर पार्क में ध्वजारोहण किया।
विधायक राकेश जंवाल ने कहा कि राज्यस्तरीय नलवाड़ मेला-2022 सुंदरनगर का बैलों के पूजन के साथ विधिवत शुभारंभ हो गया है। कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों से मेले का आयोजन नहीं होने के कारण इस वर्ष किसानों और लोगों के बीच उत्साह देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि समय के बदलाव के साथ लोगों के पास बैल कम हो गए हैं और इस कारण इस मेले को पशु मेला के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया था। राकेश जम्वाल ने कहा कि लोग अपना पशुधन लेकर मेले में आएं और क्रय-विक्रय करें।
उत्तर भारत के सबसे बड़े नलवाड़ मेला सुंदरनगर का पुरातन स्वरूप धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। मेले में बैलों के लिए उपयोग में आने वाली रस्सियां, घंटियां, छिकड़ी,नकेल आदि बेचने वाले व्यापारीयों का सामान बिकने का क्रम कम हो गया है। इसके साथ मेले में बैल बेचने के लिए आने वाले लोगों को प्रदेश में घट रही मांग को लेकर घाटा सहना पड़ रहा है।