नाहन, 23 दिसंबर : ट्रांसगिरि क्षेत्र के कोड़गा के रुहाना गांव का एक युवक 23 साल से बिस्तर पर बेबस पिता की लाठी बना है। दरअसल, प्रदीप शर्मा ने कुल्लू वनवृत में वनरक्षक के पद पर सफलता पाई है। परिवार ने ऐसी गुरबत देखी है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। सफलता का श्रेय माता-पिता के अलावा छोटे भाई को दिया ही है, साथ ही मार्गदर्शन व उचित कोचिंग व्यवस्था के लिए जेबीटी स्कूल के समीप न्यू लक्ष्य अकादमी का बार-बार धन्यवाद किया है।
कहा कि ये अकादमी वास्तव में गरीब परिवार के बच्चों के लिए मसीहा से कम नहीं है। खास बात ये है कि प्रदीप ने ये सफलता अपने गांव से कोसों दूर कुल्लू वनवृत में हासिल की है। दरअसल, नाहन वृत में ओबीसी ओपन कैटेगरी का कोई पद नहीं था। प्रदीप के सामने भी डू ओर डाई की स्थिति थी। लिहाजा, न्यू लक्ष्य अकादमी से मिले मूल मंत्रों को लेकर वो पहली बार कुल्लू पहुंचा था।
अनजान शहर में प्रदीप के लिए सब कुछ नया था। बावजूद इसके वो लक्ष्य को भेदने के लिए कमर कसे हुए था। आर्टस संकाय में ग्रैजुएशन के साथ-साथ प्रदीप ने पीजीडीसीए व जेबीटी की पढ़ाई भी की है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क कार्यालय में पहुंच कर प्रदीप ने नम आंखों से अपने परिवार की स्थिति को लेकर मार्मिक बातें बताई। प्रदीप का कहना था कि पिता ज्ञान चंद 23 साल से अपंगता का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
स्थिति ये है कि वो चल-फिर भी नहीं सकते। मां रक्षा देवी एक मिड-डे मील कर्मी है। छोटे भाई विक्रम दत्त ने जमा दो के बाद पढ़ाई छोड़ दी, ताकि वो उसका व छोटी बहन दीपिका की पढ़ाई का खर्चा उठा सके। वनरक्षक बने प्रदीप ने कहा कि जेओए (आईटी) की परीक्षा भी उत्तीर्ण की हुई हैै। साथ ही बताया कि पुलिस भर्ती में दो मर्तबा साक्षात्कार में असफलता मिली। एक सवाल के जवाब में प्रदीप का कहना था कि उनके लिए इस पद को हासिल करना यूपीएससी की परीक्षा क्लीयर करने से कम नहीं है। अब वो अपनी पगार से पिता का उपचार भी करवा पाएंगे। साथ ही परिवार का आर्थिक सहारा भी बन पाएंगे।
उनका कहना था कि न्यू लक्ष्य अकादमी निश्चित तौर पर उन गरीब परिवारों के लिए मददगार है, जो कोचिंग के लिए ऊंची फीस दे पाने में समर्थ नहीं होते। उन्होंने अकादमी के संचालक कपिल शर्मा का भी आभार प्रकट किया है।