श्री रेणुका जी, 14 दिसंबर : युवाओं में बढ़ती नशे की लत और इसके समाज परिवार पर पड़ रहे बुरे प्रभाव के बारे में सोमवार को राजकीय महाविद्यालय ददाहू में भारतीय मानवाधिकार व सामाजिक कार्यकर्ता शबनम आर्या ने छात्र-छात्राओं को एनडीपीएस एक्ट की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महानगरों ओर बडे शहरों की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी युवाओं में ड्रग्स सेवन आदतों में इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता ने बताया कि हालात यह है कि वर्ष 2019 मे एनडीपीएस एक्ट के दर्ज मामलों में जहां प्रदेश तीसरे नंबर पर था, वहीं वर्ष 2020 देश भर में यह दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा छोटे से पहाडी प्रदेश के लिए अलार्म देने वाला है। उन्होंने बताया कि अभी केवल 15 दिनों में ही 113 मामले एनडीपीएस के प्रदेश में दर्ज हुए हैं, जोकि बताते हैं कि प्रदेश में किस तरह से ड्रग्स के मामले बढ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में प्रदेश स्तर पर 1548 मामले सामने आए हैं, जिसमें से 390 मामलों में ड्रग्स को मौके पर जब्त किया गया।
इस दौरान यह भी खुलासा हुआ कि केवल नशे की लत के चलते ही यह अपने व्यक्तिगत तौर पर सेवन करने को ड्रग्स पाई गई जबकि बिक्री की ड्रग्स की मात्रा तो इससे कहीं अधिक हो सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में हालांकि कोई भी जमानत का प्रावधान कानूनों के तहत नही है। वहीं ड्रग्स की खरीद फरोख्त, खपत, स्टॉक को भी पूरी तरह से अपराध श्रेणी में रखा गया है। बावजूद इसके ड्रग्स के सेवन के मामले हिमाचल प्रदेश में बढ़ने से युवाओं और अभिभावकों की शोचनीय दशा की ओर इशारा कर रहे हैं। लिहाजा सरकारी तौर पर ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत तौर पर भी इस लत से दूर रहने की सख्त जरूरत है।
उन्होंने छात्र-छात्राओं को यहां ड्रग्स से दूर रहने के लिए जरूरी सुझाव के साथ कहा है कि खाली समय में किसी एक्टिविटी से जुड़ें। वहीं उन्होंने अभिभावकों से भी आग्रह किया कि अपने बच्चों की 12 वर्ष की आयु के बाद पूरी तरह से स्वयं काउंसलिंग शुरू करे। ताकि आगामी समय मे बच्चे गलत दिशा की ओर न बढ़ सके।