हमीरपुर, 22 नवंबर : आज सरकार व प्रशासन की बेरुखी के कारण करोड़ों का बना एक हॉस्टल 20 सालों की धूल समेटे खड़ा है। यकीनन हम बात तो करते हैं कि हमारे खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल क्यों नहीं जीत पाते, लेकिन ग्राउंड पर जाते ही तस्वीर साफ हो जाती है। हम खिलाड़ियों से ऐसे माहौल में मेडल की उम्मीद भी कैसे कर सकते हैं। आज हम एक ऐसे ही स्पोर्ट्स हॉस्टल के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर कभी हॉकी स्टिक की गूंज गूंजा करती थी । लेकिन आज 20 साल से केवल धूल समेटे यह भवन खड़ा है।
नादौन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बाल स्कूल का स्पोर्ट्स हॉस्टल कई मूलभूत सुविधाओं से करीब 20 सालों से अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है। जानकारी देते हुए स्कूल प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप शर्मा ने बताया कि इस हॉस्टल को करीब 30 वर्ष से अधिक बने हो चुके हैं। लेकिन इस हॉस्टल का भवन जर्जर हो चुका है और इस हॉस्टल में हॉकी के 20 बच्चों की सीटें आरक्षित हैं।
लेकिन इस हॉस्टल में करीब 7 बच्चे ही पढ़ाई के साथ हॉकी खेल रहे हैं। करीब 20 वर्षों से न तो इस हॉस्टल में कोई कोच है और न ही बहुत अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। हॉस्टल में रह रहे बच्चों के लिए बाथरूम एवं शौचालय की सुविधा देखकर कोई भी अभिभावक कभी भी इस हॉस्टल में अपने बच्चों को न भेजें। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खेलों को बढ़ावा देने के लिए हर प्रयास कर रहे हैं दूसरी तरफ सरकार इस धरोहर पर कोई भी ध्यान नहीं दे रही है।
अगर इस हॉस्टल में अच्छी सुविधा के साथ-साथ अच्छे कोच भी मिले और स्कूल के खरेड़ी मैदान में खेलने की अच्छी व्यवस्था की जाए, तो इसमें कोई शक नहीं कि नादौन के इस छात्रावास से आने वाले समय में कई बच्चे सेना एवं देश के लिए खेलते नजर आएंगे और हॉस्टल में 20 बच्चे भी आएंगे। इस संबंध में राज्य के खेल मंत्री राकेश पठानिया ने बताया कि जल्द ही निरीक्षण करके इस समस्या का हल किया जाएगा ताकि हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को उचित कोटि की सुविधा मिल सके।