शिमला, 5 अगस्त : मौजूदा जयराम सरकार के कार्यकाल में वीरवार का दिन सरकार व प्रशासन के समन्वय के मद्देनजर काफी अहम रहा। अमूमन विधानसभा सत्र के दौरान निचले स्तर के अधिकारी तक नहीं बदले जाते हैं, वहीं ऐसा क्या हो गया कि सरकार ने एक दिन के भीतर ही प्रशासन के मुखिया अनिल खाची को राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर स्थानांतरित कर दिया।
मामला, यहीं नहीं खत्म हुआ। इसके बाद एक और अधिसूचना सामने आई, जिसमें सरकार ने आईएएस अनिल खाची की स्वैच्छिक रिटायरमेंट के आवेदन को ही स्वीकार कर डाला। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने इस मामले पर आज सदन से वॉकआउट किया था। 1986 बैच के आईएएस अधिकारी अनिल कुमार खाची की सेवानिवृति में समय था। हर कोई राजधानी के इस घटनाक्रम से हैरान है।
बताते हैं कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को मुख्य सचिव के पद से हटाने की सुगबुगाहट एक-दो दिन से चल रही थी, लेकिन इस तरह का नाटकीय घटनाक्रम होगा, इसका शायद किसी को इल्म नहीं था। उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले 1987 बैच के आईएएस अधिकारी राम सुभग सिंह को मुख्य सचिव की कुर्सी की अलग से अधिसूचना जारी हुई। आईएएस निशा सिंह भी 1987 बैच की हैं।
बता दें कि कुछ अरसा पहले मंत्रिमंडल की बैठक में तेजतर्रार मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर व मुख्य सचिव के बीच नोंक झोंक भी हो गई थी। अब सवाल उठता है कि क्या ये तकरार भी वजह बनी या फिर इस नाटकीय घटनाक्रम के मायने कुछ और हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो आईएएस अनिल खाची की सख्त मिजाजी कुछ मंत्रियों को अखरने लगी थी। नजरें इस बात पर भी टिकी हैं कि शायद पद से हटने के बाद वो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले जाएंगे। मगर उन्होंने स्वैच्छिक रिटारयरमेंट लेकर सबको चौंका दिया है। इसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के स्वाभिमान से जोड़कर भी देखा जा रहा हैै।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनिल खाची से फोन पर सीधा संपर्क साधा। साथ ही ये जानने की कोशिश की कि तबादले के बाद अचानक ही उन्होंने स्वैच्छिक रिटायरमेंट का फैसला क्यों लिया। जवाब में उन्होंने केवल इतना ही कहा कि वो कोई भी स्टेटमेंट नहीं देना चाहते।