हमीरपुर, 19 जुलाई : विपरीत परिस्थितियां और विकट समस्याएं अक्सर हमारी क्षमता, योग्यता और धैर्य की ही परीक्षा नहीं लेती हैं, बल्कि कुछ नया सोचने एवं करने तथा समस्याओं का समाधान निकालने के लिए भी प्रेरित करती हैं।
पिछले डेढ़ वर्ष से अधिक समय से जारी कोरोना संकट ने भी जहां हमें कई सबक दिए हैं, वहीं इन परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए नवाचार यानि इनोवेशन (Innovation) को भी बढ़ावा दिया है। इसकी एक मिसाल (Example) हिमाचल प्रदेश के छोटे से जिला हमीरपुर में भी देखने को मिल रही है।
ज़िला की युवा जिलाधीश (Young Deputy Commissioner) देबश्वेता बनिक की प्रेरणा और प्रोत्साहन (inspiration and encouragement) से यहां के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Technology) के एक विद्यार्थी रजत अनंत ने ऑक्सीजन गैस (Oxygen Gas) सिलेंडरों को बदलने तथा अस्पताल के भीतर इन्हें आसानी से लाने और ले जाने के लिए एक सेमी- ऑटोमेटिक ट्रॉली (semi-automatic trolley) तैयार की है।
‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’ की कहावत को चरितार्थ (significant) करते हुए बनाई गई यह ट्राॅली आने वाले समय में बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है। विशेषकर, कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) की आशंका के मद्देनजर एनआईटी (NIT) के विद्यार्थी की इस इनोवेशन में कई संभावनाएं (Possibilities) नजर आ रही हैं।
जिलाधीश देबश्वेता बनिक ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, और ऑक्सीजन सिलेंडरों को बार-बार बदलने तथा इन्हें अस्पताल की एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक ले जाने में स्वास्थ्य कर्मचारियों को काफी मशक्कत (effort) करनी पड़ रही थी। एक सिलेंडर को बदलने में ही काफी ज्यादा वक्त लग रहा था तथा इस कार्य में 5-6 लोगों की सेवाएं लेनी पड़ रही थी। अस्पताल प्रबंधन (hospital management) के लिए यह अपने आपमें एक बड़ी समस्या थी।
देबश्वेता बनिक ने बताया कि बाजार में भी इस काम के लिए कोई सेमी-ऑटोमेटिक ट्रॉली उपलब्ध नहीं थी। ऐसी परिस्थितियों में उन्होंने एनआईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical engineering) विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके जरयाल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग (mechanical Engineering) विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार के साथ उक्त समस्या के समाधान को लेकर चर्चा की तथा इंजीनियरिंग एक्सपर्ट्स (engineering experts) की मदद से सेमी-ऑटोमेटिक ट्रॉली विकसित करने का आग्रह किया।
इसके बाद एनआईटी के निदेशक (Director) डॉ. ललित अवस्थी की अनुमति से दोनों विभागों ने इस दिशा में तेजी से कार्य आरंभ किया। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical engineering) के विद्यार्थी रजत अनंत ने इस प्रोजेक्ट (Project) पर कार्य आरंभ किया।
आखिर रजत अनंत की मेहनत रंग लाई और दो माह के भीतर ही उन्होंने अपने छोटे भाई मोहित अनंत की मदद से एक ऐसी सेमी-ऑटोमेटिक ट्रॉली का माॅडल तैयार करने में कामयाबी हासिल की, जिसके माध्यम से केवल एक व्यक्ति ही ऑक्सीजन गैस सिलेंडरों को अस्पताल की एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक बड़ी आसानी से ले जा सकता है, तथा खाली सिलेंडरों को बहुत ही कम समय में बदल सकता है।
पिछले महीने ही अपनी बीटैक की डिग्री पूरी करने वाला रजत अनंत बहुत ही प्रतिभाशाली (Brilliant) विद्यार्थी है। पिछले वर्ष भी उसने इलेक्ट्रिकल चार्ज्ड वाहन (electrically charged vehicle) से संबंधित एक प्रोटोटाइप (Prototype) तैयार किया था, जिसकी काफी सराहना हुई थी।
जिलाधीश ने बताया कि रजत अनंत के नए अविष्कार को मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना में शामिल करवाने के लिए भी उद्योग विभाग के माध्यम से आवेदन कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट में एडीएम जितेंद्र सांजटा और डीएसपी (DSP) रोहिन डोगरा ने भी रिसर्च टीम (Research Team) के साथ समन्वय स्थापित करके सराहनीय योगदान दिया।