शिमला,18 जून : प्रदेश को हिला कर रख देने वाले कोटखाई के बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले में दोषी नीलू को उम्र कैद की सज़ा (Life imprisonment) सुनाई गई है। 10वीं की छात्रा को दुष्कर्म के बाद निर्मम तरीके से मौत के घाट उतारने के मामले में सीबीआई (CBI) की विशेष अदालत (Special Court) ने दोषी को उम्र कैद की सज़ा दी है। शुक्रवार दोपहर 1 बजकर 59 मिनट पर कड़ी सुरक्षा के बीच दोषी को अदालत में पेश किया गया। 2 मिनट चली कार्रवाई में विशेष न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने दोषी के सामने सज़ा का एलान किया।
बीते 28 अप्रैल को अदालत ने भारतीय दंड संहिता (Indian Panel Code) और बच्चों के यौन अपराध (Crime) से संरक्षण कानून की विभिन्न धाराओं के तहत नीलू को दुष्कर्म और हत्या (Rape & Murder) का दोषी करार दिया था। अदालत का ये फैसला घटना के 4 साल के अंदर आया है। आरोपी नीलू पिछले 37 महीनों से जेल में बंद है। सीबीआई ने आरोपी को अप्रैल 2018 को गिरफ्तार किया था। वहीं जुलाई 2018 को अदालत में चालान दाखिल किया था।
अप्पर शिमला के कोटखाई (kotkhai) थाना क्षेत्र में जुलाई 2017 को जघन्य वारदात (heinous crime) से सबके रौंगटे खड़े हो गए थे। दरअसल 4 जुलाई, 2017 को एक छात्रा (गुड़िया) स्कूल से लौटते समय लापता हो गई थी। 6 जुलाई को कोटखाई के तांदी के जंगल में पीड़िता का शव मिला। पुलिस की जांच में सामने आया कि छात्रा की दुष्कर्म के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। किशोरी (Adolescent) के साथ दरिंदगी की इस वारदात के खिलाफ जबरदस्त जनाक्रोश (public anger) देखने को मिला था।
लोगों ने तब इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर सड़क पर उतरकर आंदोलन (Protest) किया था। प्रदेश पुलिस की एसआईटी (SIT) ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर केस को सुलझाने का दावा किया था। इनमें एक आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या (Murder in Lockup) कर दी गई। इससे पुलिस पर साक्ष्य मिटाने (erasing evidence) के आरोप लगे और आक्रोशित लोगों का पुलिस पर गुस्सा फूटा तथा भीड़ (Mob) ने कोटखाई थाने को आग के हवाले कर दिया था।
प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द कर दी। सीबीआई ने गुड़िया रेप-मर्डर और सूरज हत्याकांड में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए। सीबीआई ने सूरज हत्याकांड में आईजी जैदी सहित नौ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। बाद में इस मामले में एक नया मोड़ आया और इन सभी आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया।
सीबीआई ने डीएनए परीक्षण के आधार पर अप्रैल 2018 को नीलू नामक चिरानी को गिरफ्तार किया था।सीबीआई ने मामले की जांच के दौरान कोटखाई और आसपास के गांवों के सैकड़ों लोगों से पूछताछ की थी तथा बड़ी संख्या में चिरानियों के ब्लड सैंपल भी लिए गए। इस मामले में सीबीआई ने 59 गवाहों के बयान दर्ज किए। बता दें कि सजायाफ्ता नीलू जीवित तो रहेगा, लेकिन अंतिम सांस तक उसे सलाखों के पीछे ही रहना होगा।
गुड़िया मामले का घटनाक्रम–
6 जुलाई 2017: कोटखाई के जंगल में गुड़िया का शव मिला 7 जुलाई 2017: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म का खुलासा, कोटखाई में हुआ प्रदर्शन। 13 जुलाई 2017 : पुलिस की एसआईटी ने मामले में छह लोेगों को गिरफ्तार किया। 14 जुलाई 2017: पुलिस जांच के विरोध में ठियोग थाने पर पथराव, सीबीआई जांच की संस्तुति। 22 जुलाई 2017 : सीबीआई ने दिल्ली में दर्ज की एफआईआर। 29 अगस्त 2017 : मामले में सीबीआई ने आईजी समेत आठ पुलिस वालों को गिरफ्तार किया। 25 नवंबर 2017: गिरफ्तार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दायर की चार्जशीट। 29 मार्च 2018 : हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश कर 25 अप्रैल तक मामला सुलझाने का दावा। 13 अप्रैल 2018 : आरोपी नीलू गिरफ्तार 29 मई 2018 : सीबीआई ने दाखिल की चार्जशीट। 23 जून 2018 : विशेष अदालत में ट्रायल शुरू। जुलाई 2018 : सीबीआई द्वारा अदालत में चार्जशीट दाखिल 28 अप्रैल 2021 : अभियुक्त नीलू दोषी करार 11 मई 2021 : कोरोना संकट के कारण सुनवाई टली। 18 मई 2021 : दूसरी बार टली सुनवाई। 28 मई 2021 : तीसरी बार टली सुनवाई। 3 जून 2021 : चौथी बार टली सुनवाई ।8 जून 2021 : पांचवी बार टली सुनवाई। 15 जून 2021 : सुनवाई के दौरान दोषी की सज़ा पर बहस पूरी, सीबीआई ने की फांसी देने की मांग, बचाव पक्ष ने उम्र कैद की अपील की। 18 जून 2021 : दोषी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।