शिमला, 26 मई: संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हिमाचल किसान सभा अन्य संगठनों द्वारा 26 मई को काला दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 26 मई को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे हो रहे हैं तथा केंद्र की मोदी सरकार के भी 7 साल पूरे हो रहे हैं। राज्य किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर , महासचिव डॉ. ओंकार शाद और वित्त सचिव सत्यवान पुंडीर ने जारी संयुक्त बयान में कहा कि किसान आंदोलन व संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया है कि इस दिन को कोविड प्रोटोकॉल के अनुरूप अपने कार्यस्थल, गांव, क्षेत्र में काले झंडे, काली पट्टी बांधकर, काले बिल्ले लगाकर, केंद्र सरकार की किसान व जन विरोधी नीतियों का विरोध किया जाएगा।
इस विरोध प्रदर्शन की वीडियो व फोटो को सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया में भेजा जाएगा। डॉ. तंवर ने कहा कि सरकार के इन 7 वर्षों के कार्यकाल में समाज के अलग-अलग तबगों पर मंहगाई की मार, बेरोजगारी एवं लगे हुए रोजगार छिन जाना, किसान विरोधी काले कृषि कानून लाने व किसानों को उनकी फसलों के लिए न्यूनतम लागत मूल्य न देकर किसानों की बर्बादी, जमीनें छिन जाना, सरकारी इदारों को बेचकर निजीकरण को बढ़ावा देना, समाज में खासकर दलितों व अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा का माहौल पैदा करना, मजदूरों के कानूनी अधिकार व हक छीनना, कोविड महामारी का कुप्रबन्धन, आदि का ही वातावरण बनाया गया तथा सरकार इन तमाम स्तरों पर पूर्णतया विफल रही।
डॉ.शाद ने कहा कि हिमाचल किसान सभा ने सभी इकाइयों से 26 मई के इस काले दिवस को अपनी स्थानीय एवं प्राथमिक इकाईयों के स्तर पर पूर्ण विरोध के रूप में मनाएं। साथ ही केंद्रीय मुद्दों के साथ-साथ प्रदेश के स्थानीय मुद्दों जैसे स्वास्थ्य सेवाओं की भारी अनदेखी, ओलावृष्टि से किसानों-बागवानों की फसलों की तबाही का मुआवजा न देना, कोविड संक्रमण में लापरवाही, मनरेगा व रोजगार सृजन में नाकामी, फल, अनाज व सब्जियों पर न तो कोई नए उद्योग लगाना तथा न ही न्यूनतम लागत मूल्य देना आदि को भी शामिल किया जाए।