शिमला, 08 अप्रैल: हिमाचल प्रदेश के चार नगर निगमों के चुनाव नतीजों से विपक्षी दल कांग्रेस के हौसले बुलंद हो गए हैं। कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सोलन व पालमपुर नगर निगमों में जीत का परचम लहराया, जबकि सत्ताधारी भाजपा केवल मंडी नगर निगम को ही अपने नाम कर पाई। धर्मशाला नगर निगम में भाजपा का पलड़ा भारी है, लेकिन यहां काबिज होने की चाबी निर्दलीयों के हाथ में है।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हुए इन चुनावों ने सत्तारूढ़ भाजपा को चिंता में डाल दिया है। कांग्रेस इन चुनाव नतीजों को राज्य सरकार के फैसलों पर जनता की नाराजगी से जोड़कर देख रही है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले व पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम के प्रभुत्व वाली नवगठित मंडी नगर निगम में भाजपा का भगवा रंग चढ़ा और पार्टी 10 सीटें जीतने में सफल रही। इसके बावजूद नगर निगम चुनाव नतीजों से भाजपा को सूबे में बड़े सियासी झटके लगे हैं।
पालमपुर में कांग्रेस ने भाजपा को करारी पटकनी दी है। इस नवगठित नगर निगम में कांग्रेस ने एकतरफा जीत दर्ज की है। 15 वार्डों वाले नगर निगम में भाजपा महज़ 2 सीटों पर सिमट गई। सोलन नगर निगम में भी कांग्रेस ने भाजपा को करारी मात दी।
चुनावी प्रबन्धन में बेहद कुशल माने जाने वाले पूर्व मंत्री राजीव बिंदल भी भाजपा की नैया पार नहीं लगा पाए। भाजपा ने यहां से राजीव बिंदल को चुनाव प्रभारी बनाया था और पार्टी को उनसे करिश्मे की उम्मीद थी। लेकिन कांग्रेस के चुनाव प्रभारी राजेन्द्र राणा और स्थानीय विधायक धनीराम शांडिल उन पर भारी पड़े और यहां कांग्रेस का परचम लहरा दिया।
धर्मशाला में अपने तेजतर्रार मंत्री राकेश पठानिया के बलबूते भाजपा अपनी लाज बचाने में बेशक कामयाब रही, मगर बहुमत हासिल करने में भाजपा को एक निर्दलीय की मदद लेने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
मंडी नगर निगम को छोड़ दिया जाए, तो भाजपा के लिए ये नतीजे चिंता बढ़ाने वाले हैं। चारों नगर निगमों के कुल 64 वार्डो में भाजपा के खाते में 28 सीटें गई हैं। जबकि कांग्रेस पार्टी 29 सीटें जीतने में सफल रही। इस चुनाव परिणाम को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कुल मिलाकर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में चारों लोकसभा सीटें रिकॉर्ड मार्जिन से जीतने वाली भाजपा के लिए ये नतीजे किसी झटके से कम नहीं हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में सत्तासीन भाजपा सरकार को जनता के सत्ता विरोधी रुख का सामना करना पड़ सकता है।