शिमला, 21 मार्च : निरंतर कोशिश आपके सपने को साकार करती है। इन शब्दों को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में तीसरा स्थान अर्जित करने वाली अर्शिया (27) शर्मा ने साबित कर दिखाया है। बचपन से एक प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना देखा करती थी। 2018 में HAS की परीक्षा में अर्शिया को 18 स्थान मिला। इसके बाद आबकारी व कराधान विभाग में बतौर ईटीओ कैरियर शुरू किया।
इस समय एक्साइज विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर तैनात हैं। 2018 में सफलता मिलने के बावजूद अर्शिया के मन में यह बात खटकती रही कि वो तो बचपन से ही प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहती थी। महसूस हुआ कि कहीं न कहीं जीवन में कुछ छूट रहा है। फिर एक्साइज विभाग में अधिकारी रहते हुए ये निर्णय लिया कि वो बचपन के सपने को साकार कर के ही रहेगी। निर्णय कठिन था, क्योंकि नौकरी का दायित्व भी निभाना था। लिहाजा नौकरी भी जारी रखी साथ ही प्रशासनिक सेवा अधिकारी बनने का ख्वाब भी नहीं छोड़ा।
शनिवार देर शाम जब हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग ने एचएस परीक्षा का नतीजा जारी किया तो उस सूची में अर्शिया का नाम तीसरे स्थान पर अंकिता था, यानि माता -पिता की होनहार बेटी का प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना पूरा हो चूका था। दूसरी कक्षा तक नाहन के होली हार्ट स्कूल में पढ़ने के बाद अर्शिया ने शिमला के तारा हॉल में जमा दो तक की पढ़ाई की।
विज्ञान संकाय में जमा दो करने के बाद जेपी यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक की शिक्षा हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद अर्शिया ने HAS परीक्षा की तैयारी में जुट गई। पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, लेकिन दूसरी कोशिश में एचएएस की परीक्षा में 18 वा स्थान मिल गया।
अर्शिया ने परिवार को गौरवान्वित किया मगर सपना पूरा नहीं हुआ था। 2019 में नौकरी का दायित्व भी निभाना शुरू कर दिया साथ ही तैयारी को भी जारी रखा। चौथे प्रयास में अर्शिया ने बचपन के सपने को साकार कर लिया है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में एचएस परीक्षा में तृतीय स्थान अर्जित करने वाली अर्शिया शर्मा ने कहा कि बचपन से ही पिता सतीश शर्मा को प्रेरणा माना, जिनसे हर पल मार्गदर्शन मिलता रहा। अब वह काफी हद तक अपने कैरियर से संतुष्ट हैं। वो कहती हैं कि पहला रैंक मिलता तो भी प्रशासनिक अधिकारी ही बनती।
एक सवाल के जवाब में अर्शिता ने यह भी कहा कि कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई को प्रशासनिक सेवा में अमल में लाएगी, क्योंकि आईटी के युग में कंप्यूटर इंजीनियरिंग व्यवस्था में काफी मायने रखती है। बता दें कि अर्शिया के पिता सतीश शर्मा इस समय एक्साइज विभाग ज्वाइंट कमिश्नर के पद पर तैनात है। इत्तेफ़ाक़न अर्शिया ने भी एक्साइज विभाग में ही अपना कैरियर शुरू किया था।
तैयारी करने वालों को टिप्स
मूलत: ऊना के चिंतपूर्णी से ताल्लुक रखने वाली अर्शिया शर्मा का कहना है कि मार्गदर्शक होना जरूरी है। क्योंकि शुरुआती दौर में तैयारी करने वालों को मार्गदर्शन की कमी के कारण यह पता नहीं चलता कि किस तरह से पढ़ाई की जानी है। उन्होंने बताया कि वह अपनी ड्यूटी के साथ-साथ करीब 5 से 6 घंटे का वक्त तैयारी में लगाती थी।
2018 की परीक्षा का अनुभव था, लिहाजा इसका फायदा मिला। लेकिन फ्रेशर्स को कम से कम 10 से 12 घंटे का वक्त देना चाहिए। साथ ही वैकल्पिक विषय को लेकर भी सावधानी पूर्वक चयन किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि उनका वैकल्पिक विषय साइकोलॉजी था।
अर्शिया बताती है कि कई मर्तबा तैयारी करने वाले युवा एक विषय को काफी गहराई तक स्टडी करना शुरू कर देते हैं, ऐसे में बाकी विषयों से उनका ध्यान हट जाता है, जबकि इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए तमाम विषयों व पाठ्यक्रम की स्टडी संतुलित तरीके से होनी चाहिए। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय पिता को देते हुए कहा कि वो तैयारी में जुटे युवाओं को हर पल मदद देने को तैयार है।
गौरतलब है कि अर्शिया की माता सेवानिवृत अध्यापिका है, जबकि छोटा भाई दसवीं कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहा है।