पांवटा साहिब, 23 फरवरी : करीब 12 दिन तक जिंदगी व मौत के बीच संघर्ष करने वाले होमगार्ड जवान सुरजीत पुंडीर की आंखें दो नेत्रहीनों के जीवन में उजाला लाएंगी। आंजभोज क्षेत्र के आगरो गांव के रहने वाले होमगार्ड जवान सुरजीत पुंडीर (34) का निधन 15 फरवरी को पीजीआई चंडीगढ़ में हो गया था। वह 12 दिन तक जीवन व मृत्यु के बीच संघर्ष करता रहा, लेकिन आखिर में इस जंग को हार गया था।
बताते हैं कि युवा बेटे के आकस्मिक निधन पर गमगीन परिवार से जब पीजीआई चंडीगढ़ में यह सवाल पूछा गया कि क्या वह दिवंगत सुरजीत पुंडीर की आंखों को दान करना चाहते हैं तो परिवार ने इस पर हामी भरने से देर नहीं की। करीब 8 दिन बाद परिवार के इस नेक कार्य की जानकारी सामने आई है। ड्यूटी के दौरान दिवंगत सुरजीत बहराल बैरियर पर तैनात थे।
इसी दौरान ओवरस्पीड ट्रैक्टर ने बेरिकेटर्स को तोड़ते हुए सुरजीत को कुचल दिया था। इसके बाद 2 फरवरी की इस घटना के बाद उन्हें पीजीआई रैफर किया गया था। परिवार को यह नहीं पता कि सुरजीत की आंखों से किसी के जीवन में उजाला आएगा। लेकिन इतना जरूर बताया गया है कि दो आंखों से दो व्यक्तियों की जिंदगी में रोशनी आएगी।
दिवंगत बेटे की आंखो के महादान का फैसला परिवार ने सामूहिक तौर पर लिया, उस समय पीजीआई चंडीगढ़ में मौजूद परिवार के सदस्यों ने बाकी से फोन पर संपर्क कर मार्गदर्शन लिया तो किसी ने भी इस नेक कार्य के लिए इंकार नहीं किया। इसमें पत्नी पूजा के अलावा माता-पिता, अतरो व लाल सिंह भी शामिल थे।
पारिवारिक सदस्य अनिल चौहान ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि जब नेत्रदान को लेकर पीजीआई में उनसे पूछा गया तो वह तुरंत ही तैयार थे लेकिन बाकी सदस्यों से भी राय जरुरी थी जिन्हे फोन पर सूचित किया गया। परिवार के तमाम लोगों ने नेत्रदान से इनकार नहीं किया।
उल्लेखनीय यह है कि दिवंगत सुरजीत पुंडीर की पार्थिव देह को पांवटा साहिब लाया गया था, जहां पूरे पुलिस सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था।
उधर पांवटा साहिब के डीएसपी वीर बहादुर ने कहा कि बेटा तो कर्त्तव्य परायणता से कार्य कर ही रहा था। वहीं गमगीन परिवार ने इस तरह का जज्बा पेश कर समाज को एक बेमिसाल उदाहरण दिया है। बता दे कि दिवंगत होमगार्ड जवान की तीन महीने पहले ही शादी हुई थी।