नाहन, 20 फरवरी : क्षेत्र में बढ़ते आत्महत्या के मामलों के मद्देनज़र श्री साई मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल एवं ट्रॉमा सेंटर, नाहन में मनोचिकित्सा विभाग शुरू किया गया है। लोगों के मानसिक तनाव जैसे डिप्रेशन, तनाव और बच्चों में मोबाइल की आदत छुड़ाने जैसी समस्याओं को काउंसलिंग के माध्यम से ठीक किया जाएगा।
अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग में बतौर मनोवैज्ञानिक मैथिली शेखर अपनी सेवाएं दे रही हैं। मैथिली शेखर पिछले आठ वर्षों से देश-विदेश में डिप्रेशन और तनाव से परेशान लोगों की काउंसलिंग कर मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने में सहायता कर रही है।
अस्पताल के निदेशक डॉ. दिनेश बेदी ने बताया कि नाहन व आसपास के क्षेत्रो में बढ़ते आत्महत्या के मामले चिंता का विषय बन रहे हैं। आज कल की जीवन शैली, एकल परिवार, हर क्षेत्र में प्रतियोगिता की भावना से हर व्यक्ति किसी न किसी रूप से परेशान है। जिसके कारण लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं और डिप्रेशन से जूझते-जूझते व्यक्ति आत्महत्या जैसा गलत निर्णय ले लेते हैं। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग की शुरुआत की है। जिसमें मैथिली शेखर बतौर मनोवैज्ञानिक अपनी सेवाएं दे रही हैं।
मैथिली शेखर विभिन्न अस्पतालों व स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों के माध्यमों से हज़ारों स्कूल विद्यार्थिओं, डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों का कॉउंसलिंग के माध्यम से इलाज कर स्वस्थ कर चुकी है। उन्होंने बंगलौर में स्थित बैपस्ट अस्पताल, मनीपाल अस्पताल और मिज़ोरम एवं सिक्किम सरकार के स्वास्थ्य विभाग में बहुत से लोगों का उपचार किया है। इसके साथ-साथ मैथिली शेखर ने विदेशों में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
नाहन में अस्पताल में कार्यरत होते ही मनोवैज्ञानिक मैथिली शेखर ने नाहन पुलिस लाइन में एसपी के दिशा निर्देशन में पुलिस विभाग के कर्मचारियों को तनाव मुक्त रहने के विषय पर जानकारी भी दी।
मनोवैज्ञानिक मैथिली शेखर ने बताया कि तनाव या डिप्रेशन के लक्षणों की बात करें तो व्यक्ति में यह लक्षण देखे जाते है जैसे नींद का कम आना या ज्यादा आना, खाना कम या ज्यादा खाना, वजन कम होना, किसी काम में मन न लगना, बेवजह रोते रहना, अकेलापन महसूस करना, समझ से दूर रहना, चिड़चिड़ापन रहना, मन में आत्महत्या के विचार आना।
उन्होंने बताया कि यदि हम अपने परिवार में किसी भी व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण देखते है तो बिना देर किए उसे समझने की कोशिश करे और उनसे बात कर उनकी समस्या जाने। आप अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग में हम से मिल सकते है। बता दे कि शहर में एक ही परिवार से जुड़े आत्महत्या के चार मामले सामने आये थे, तीन माह के भीतर कुल आंकड़ा 12 के आसपास रहा।