शिमला, 25 जनवरी : हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य बने आज 50 साल पूरे हो गए हैं। प्रदेश सरकार इस खास अवसर पर राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर स्वर्ण जयंती समारोह का भव्य आयोजन कर रही है।
25 जनवरी 1971 को इसी रिज मैदान पर एक जनसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश के 18वें राज्य के रूप में हिमाचल प्रदेश की घोषणा की थी। उन ऐतिहासिक लम्हों के दौरान रिज पर बर्फबारी हो रही थी और इसी बर्फबारी के बीच इंदिरा गांधी ने देवभूमि को पूर्ण राज्य की सौगात दे डाली, जिससे लोग खुशी से झूम उठे थे।
अलग राज्य की घोषणा के बाद रिज पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. वाईएस परमार भी खूब झूमे थे। यही वजह है कि 25 जनवरी की तारीख हिमाचल के लिये बेहद खास रहती है। हिमाचल इससे पहले केंद्र शासित प्रदेश था। आज यह प्रदेश पूर्ण राज्य के रूप में अपनी शानदार यात्रा के 50 वर्ष पूरे कर रहा है।
हिमाचल देश की आज़ादी के पूरे आठ माह के बाद 15 अप्रैल 1948 को 30 छोटी-बड़ी पहाड़ी रियासतों मिलाकर अस्तित्व में आया था। उस दौरान महासू, मण्डी, चम्बा व सिरमौर को अलग-अलग जिलों का दर्जा दिया गया। वर्ष 1950 को हिमाचल को ‘सी’ स्टेट का राज्य का दर्जा देकर विधान सभा के गठन का प्रावधान कर दिया।
मार्च, 1952 में डा. परमार ने इस प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की और अपने तीन सदस्यीय मंत्रिमण्डल का गठन किया। जुलाई 1954 में बिलासपुर को हिमाचल में मिलाकर इसे प्रदेश का पांचवां जिला बनाया गया।
पहली नवम्बर 1956 को हिमाचल प्रदेश केन्द्र शासित राज्य बना। वर्ष 1963 में ‘गवर्नमैंट ऑफ यूनियन टेरिटोरिज एक्ट’ पास करके पहली जुलाई, 1963 को टेरिटोरियल काउन्सिल को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में परिवर्तित किया गया। परिणामस्वरूप डाॅ. वाई. एस. परमार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
वर्ष 1966 में ‘पंजाब स्टेट्स पुनर्गठन एक्ट’ पास किया गया और कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, कुल्लू, लाहौल-स्पिति, शिमला, नालागढ़, कण्डाघाट तथा डलहौजी आदि क्षेत्र हिमाचल में शामिल किए गए।
अब तक के सफर के सीएम
हिमाचल प्रदेश ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक आधा दर्जन मुख्यमंत्रियों को देखा है। हिमाचल निर्माता के नाम से पुकारे जाने वाले जिला सिरमौर के डॉ. यशवंत सिंह परमार वर्ष 1976 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उनके बाद शिमला जिला से ताल्लुक रखने वाले ठाकुर राम लाल ने प्रदेश की बागडोर संभाली।
प्रदेश में वर्ष 1977 में पहली बार जनता पार्टी ने चुनाव जीता और कांगड़ा जिला से संबंध रखने वाले शांता कुमार मुख्यमंत्री बने। शांता कुमार अढ़ाई साल तक सीएम रहे। वर्ष 1980 में ठाकुर राम लाल फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो गए।
8 अप्रैल 1983 को उनके स्थान पर शिमला के वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। वीरभद्र सिंह को सर्वाधिक छह बार मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। साल 1998 में पहली बार हमीरपुर से प्रो. प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने। धूमल 2007 से 2012 तक दूसरी बार मुख्यमंत्री रहे। अब मंडी के रहने वाले जयराम ठाकुर पहली बार बतौर मुख्यमंत्री प्रदेश की बागडोर संभाल रहे हैं।
शून्य से सफर
हिमाचल प्रदेश ने अपने अस्तित्व, भौगोलिकता, आकार-प्रकार और पूर्ण राज्यत्व की प्राप्ति के लिए दुष्कर रास्तों को तय किया है। इस प्रदेश ने लगभग शून्य से अपनी विकास यात्रा आरम्भ की थी। पिछले 50 वर्षों के दौरान, विशेषकर पूर्ण राज्यत्व का दर्जा प्राप्त करने के बाद, हिमाचल प्रदेश ने विकास की जिन ऊँचाइयों को छूआ है वह अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के लिए प्रेरणादायक है। इस अवधि के दौरान इस प्रदेश ने सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाकर चहुंमुखी विकास में नए आयाम स्थापित किए हैं।