शिमला, 18 सितंबर : हिमाचल विधानसभा (Himachal Assembly) का 10 दिवसीय मानसून सत्र आज समाप्त हो गया। सत्र के अंतिम दिन सत्ता पक्ष व विपक्ष के सदस्यों ने संयम बरता तथा सदन की कार्यवाही शांतिपूर्वक चली। सत्र के अंतिम दिन जहां प्रश्रकाल में भाखड़ा बांध विस्थापितों व करूणामूलक आधार पर नौकरी का मुद्दे प्रमुखता से उठे तो वहीं मुख्यमंत्री ने अपने एक विशेष वक्तव्य के माध्यम से विधायक निधि बहाल करने की सूचना सदन को दी।
सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने कहा कि सत्र के दौरान 434 तारांकित 223 अतारांकित सवाल लगे। नियम 61 में 5, नियम 62 में 10 मामले लगे। नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव पहली बार विधानसभा के इतिहास में लगा। 6 घंटे 25 मिनट तक कोरोना संकट पर चर्चा हुई और फिर मुख्यमंत्री ने इसका जवाब दिया। इसके अलावा नियम 101 के तहत तीन संकल्पों पर चर्चा हुई। 12 विधेयक सदन में पारित हुए। नियम 324 में 9 विषय सदन में उठाए गए। सभा की समितियों ने 55 प्रतिवेधन सदन में रखे।
विधानसभा के मानसून सत्र की समाप्ति पर जयराम ठाकुर (CM JairamThakur) ने कहा कि यह सत्र विधानसभा के इतिहास में सबसे लंबा रहा है। आमतौर पर मानसून सत्र में पांच बैठकें होती हैं और इस बार 10 बैठकें हुई हैं। उन्होंने कहा कि अलग परिस्थतियों में आयोजित होने के कारण यह ऐतिहासिक भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सत्र में नियम 67 में कोविड-19 पर ऐतिहासिक चर्चा की गई। इसमें ढाई दिन तक चर्चा हुई और जवाब भी दिया गया और कोविड पर सारी बात रखी गई। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में दूसरे राज्यों में एक से तीन दिन के ही सत्र हुए। उनकी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ फोन पर बात हुई थी, वे कह रहे थे कि आप इतना लंबा सत्र क्यों कर रहे हो, क्या बजट पास करना है।