नाहन/संगड़ाह, 18 सितंबर : हिमाचल (Himachal) के संगड़ाह उपमंडल के लानाचेता गांव का 14 वर्षीय बालक (Adolescent) ब्लड कैंसर (Cancer) की जंग हार गया। खेती करने वाले पिता राकेश कुमार ने 41 दिन तक बेटे को बचाने में दिन-रात एक कर दिए। पलक तक नहीं झपकी। मगर कुदरत (Nature) को कुछ ओर ही मंजूर था। माना यह भी जा रहा है कि इतनी कम उम्र में हिमाचल में कोरोना (Corona) से पहली मौत (Death) हुई है। यह अलग बात है कि बच्चा कैंसर (Cancer) से पीडि़त था। शायद, कोरोना संक्रमण न होता तो बालक कैंसर की जंग को जारी रख सकता था। दसवीं कक्षा का छात्र पढ़ाई में भी होशियार था।
यह जानकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी कि पिता को जैसे एक स्पेशल किट में लपेट कर शव को दिया गया था, वो उसे वैसे ही लेकर सीधे ही श्मशानघाट पहुंचा था। पिता ने बेटे को मुखाग्रि देने से पहले उसके अंतिम दर्शन भी नहीं किए। साथ ही परिवार का कोई सदस्य वहां मौजूद नहीं था। फोन पर गांव के लोगों को लकड़ियां एकत्रित करने का आग्रह किया था। पिता के साथ केवल चार अन्य लोग ही वहां मौजूद थे। पिता को जीवन के ये 41 दिन ताउम्र नहीं भूलेंगे। यही वो समय था, जब ऋषभ को कैंसर डायग्रोज (Cancer Diagnose) हुआ। पिता राकेश लगातार वैश्विक महामारी (Pandemic) की परवाह किए बगैर ही अपने लाल (Son) को बचाने के लिए शिमला की खाक छानता रहा। बेटा तो जंग हारा (Lost Battle) ही, खुद पिता भी बेटे की मौत से टूट गया है।
दुखों (Sorrow) उस समय बढ़ गया, जब पता चला कि बेटे की कोरोना रिपोर्ट (Corona report) भी पॉजिटिव आई। भरे मन से अपने ही निजी वाहन में बेटे के शव ( body) को लेकर वीरवार देर दोपहर गांव पहुंचा। हालांकि उसे जिला कोविड अस्पताल प्रबंधन द्वारा शिमला में ही अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था भी बताई गई, लेकिन पिता नम आंखों से बेटे के शव को लेकर गांव पहुंचा। कोरोना प्रोटोकॉल (Protocol) के तहत वो जानता था कि कई नियमों की पालना करनी होगी। खुद ही इसकी जिम्मेदारी (Responsibility) का बीड़ा उठाया। मां सहित अन्य भाई-बहनों का रोते-रोते बुरा हाल था। अब राकेश को ही हिम्मत जुटानी है।
ऐसा माना जा रहा है कि इतनी कम उम्र में कोरोना से पहली मौत हुई है। हालांकि विभाग ( Department) ने सुबह के आंकड़ों में इस बालक की मौत को शिमला जिला से बताया था। इसकी वजह यह थी कि बालक रैफर (Refer) होकर नहीं गया था, बल्कि पिता सीधे ही बालक को लेकर आईजीएमसी (IGMC) गया था। पिता ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क(MBM NEWS NETWORK) से बातचीत में शिमला में कैंसर का उपचार सही तरीके से मिलने की बात कही है, लेकिन वो यह नहीं समझ पा रहा है कि बेटा कोरोना संक्रमित कैसे हुआ। उधर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केके पराशर (Dr. KK Parashar) ने कहा कि चूंकि बच्चा सीधे ही आईजीएमसी में दाखिल हुआ था, लिहाजा शिमला जिला के रिकॉर्ड (Record) में ही मौत को शामिल किया गया होगा।
पापा, जल्दी आ जाओ…
कोविड सैंटर से ऋषभ ने वीरवार तडक़े अपने पिता को फोन किया। पापा, जल्दी आ जाओ, पेट में दर्द हो रहा है। आनन-फानन में राकेश तुरंत ही गांव से शिमला की ओर रवाना हो गया। जैसे ही उन्होंने शिमला (Shimla) में कदम रखा, उन्हें फोन पर बेटे के निधन की सूचना दे दी गई। पिता की मानें तो 14 सितंबर को ऋषभ की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद किसी को भी उसके साथ रहने की अनुमति नहीं दी गई। साथ ही उसे कैंसर वार्ड से कोविड केयर अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। अब इस मामले में सवाल यह उठता है कि क्या कोविड केयर अस्पताल में एक ब्लड कैंसर Blood Cancer) के रोगी को उपचार देने की व्यवस्था थी या नहीं। देखना यह भी है कि क्या मानवता के नाते सरकार इस मामले की गहराई तक पहुंचेगी या नहीं। इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं की गई।
ये बोली शिमला की सीएमओ
उधर शिमला की मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुरेखा चोपड़ा ने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत तौर पर भी बालक के निधन का बेहद अफसोस है। उन्होंने कहा कि 14 सितंबर तक बच्चे के तमाम टैस्ट के साथ-साथ कीमोथैरेपी हो चुकी थी। डिस्चार्ज करने से पहले ही कोविड टैस्ट (covid test) किया गया, रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे जिला कोविड अस्पताल में शिफ्ट किया गया था।