शिमला, 16 सितंबर : चंद रोज से हिमाचल (Himachal) में टमाटर की तुलना में सेब सस्ता है। प्रदेश के बाजारों में सेब क्वालिटी के आधार पर 50 से 120 रूपए प्रति किलो बिक रहा है, जबकि टमाटर (Tomato) के दाम 70 से 80 रूपए किलो हैं। ऐसी स्थिति में लाजमी तौर पर रसोई के तडक़े से लाल सोना गायब हो रहा है। बता दें कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को ही प्याज के निर्यात (Export) पर पाबंदी लगाई है। लिहाजा, रसोई के तडक़े को डबल नुकसान से बचाने की कोशिश है। इतना भी जरूर है कि टमाटर उत्पादन क्षेत्र के बाजारों में दाम 10 से 20 रूपए किलो कम भी हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि टमाटर के लिए पहचान रखने वाली सोलन मंडी में इस साल टमाटर का क्रेट 600 से 2000 रूपए तक भी बिका है। इससे किसानों को फायदा मिला। मगर इस समय राज्य के अधिकांश इलाकों में रोचक बात यह है कि सेब सस्ता है। सेब की गोल्डन वैरायटी के दाम 50 से 80 रूपए किलो के बीच हैं। एक वक्त पहले बागवान इस वैरायटी की कलमों को बगीचों में पॉलीनेशन (Pollination) के लिए लगाया करते थे। लेकिन अब इसके दाम ठीक मिल जाते हैं। वहीं जहां तक रॉयल सेब की वैरायटी (Variety) की बात करें तो इसकी कीमत 70 से 120 रूपए प्रतिकिलो तक चल रही है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण हिमाचल में सोलन व सिरमौर के कई इलाकें टमाटर उत्पादन के लिए भी पहचान रखते हैं। इसके अलावा सिरमौर के संगड़ाह व शिलाई उपमंडल में लहसुन की खेती भी अब एक नकदी फसल बनती जा रही है। इस साल लहसुन उत्पादकों को भी अच्छे दाम मिले हैं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने सेब व टमाटर की तुलना करने को लेकर राज्य के आधा दर्जन कस्बों से फीडबैक लिया। रैंडम फीडबैक में सोलन में टमाटर की कीमत कम होने की जानकारी भी सामने आई। साथ ही यह भी सामने आया कि सेब भी अन्य कस्बों की तुलना में बेहतर क्वालिटी का मिल रहा है। यानि बात घूम-फिर कर वही आई कि सेब का जायका सस्ती कीमत पर मिलेगा, जबकि तडक़े का स्वाद महंगा है।
दीगर है कि सेब की गोल्डन वैरायटी इस कारण भी बेहतर मानी जाती है, क्योंकि इस पर कीटनाशक या जहरीली स्प्रे का इस्तेमाल न के बराबर ही होता है। जबकि रॉयल के अलावा अन्य वैरायटी में साइज व कलर इत्यादि की स्प्रे की जाती है।