नाहन, 14 अगस्त : डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज(Dr YS Parmar Medical college) का एक ऐसा कारनामा सामने आया है, जिसे जान कर आप भी दंग हो जाएंगे। शुक्रवार दोपहर 12 बजे के आसपास कोरोना आइसोलेशन वार्ड(Isolation ward) में शिवपुरी रोड की रहने वाली 65 वर्षीय महिला की मौत हो जाती है। समूचा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन परिवार को मौत की वजह कोरोना संक्रमण बताता है। चूंकि सांस लेने में दिक्कत थी, यही कारण था कि बगैर रिपोर्ट उपलब्ध करवाए ही कोरोना घोषित कर दिया गया।
खैर, परिवार ने स्वीकार कर लिया। शाम 4 बजे के आसपास नगर परिषद(Nahan Municipal Council) के कर्मी शव वाहन को लेकर अस्पताल पहुंच जाते हैं। इसके बाद परिवार के कुछ सदस्यों को श्मशानघाट आने की इजाजत दी जाती है। नगर परिषद के कर्मी पीपीई किट में अंतिम संस्कार की तैयारी करना शुरू कर देते हैं। मुखाग्नि से पहले ही परिवार को आशा वर्कर के माध्यम से सूचना मिलती है कि उनकी बुजुर्ग महिला की मौत कोरोना से नहीं हुई है। इस पर लाजमी तौर पर परिवार का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचना ही था।
अगर रिपोर्ट नेगेटिव थी तो दिवंगत महिला के शव को घर क्यों नहीं ले जाने दिया गया, ताकि सुकून से परिवार अंतिम संस्कार की रीति-रिवाज निभा सकता। यहां तक की एक बेटे को षिमला से भी पहुंचने का समय नहीं दिया गया। जबकि दूसरा पांवटा साहिब में कोविड केयर सैंटर में है। इसी से गुस्साए परिवार की पुत्रवधू ने सीधे श्मशानघाट से ही एमबीएम न्यूज नेटवर्क को संपर्क साध कर पूरी स्थिति से अवगत करवाया।
ये भी हैं संगीन आरोप…
परिवार की मानें तो मृतक महिला को सांस लेने में तकलीफ जरूर थी, लेकिन ऐसा कतई नहीं था कि वो अचानक ही दम तोड़ देेंगी। आरोप यह भी है कि जब उन्हें वीरवार को कैजुएलिटी वार्ड(Casualty) में ले जाया गया था तो स्टाफ ने इस बात को लेकर हडकंप मचा दिया था कि मां कोरोना से संक्रमित है। तपाक से आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया गया, जहां आइसोलेशन की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके बाद जब आज आईजीएमसी रैफर किया जा रहा था तो एंबूलेंस में भी सही तरीके से ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी।
परिवार का तर्क है कि मां की मौत सदमे से हुई है। एक मर्तबा भी किसी चिकित्सक ने उन्हें सही तरीके से अटैंड नहीं किया। यहां तक की आइसोलेशन वार्ड में दुर्गति ही की गई। आरोप यह भी है कि अस्पताल में दाखिल होने के दौरान दिवंगत महिला को मामूली सा भी उपचार देने का भी प्रयास नहीं हुआ। केवल परिवार को कोरोना-कोरोना कहकर दहशत में डाल दिया।
ये बोली पुत्रवधू…
भैय्या…अगर कोरोना नहीं था तो कुछ ही पलों में उनके शव को किट में क्यों लपेट दिया गया। घर ले जाने की अनुमति क्यों नहीं दी। मेरी रिपोर्ट भी पॉजिटिव बताई गई थी, लेकिन आज तक कॉपी नहीं दिखाई गई है। छोटी बच्ची भी ठीक है। अस्पताल के डॉक्टर या अधिकारी इस पूरी स्थिति को अपने उपर लेकर सोचेंगे कि अगर उनके साथ ऐसा बीता होता तो क्या होता। अगर मां संक्रमित थी तो बाद में नेगेटिव कैसे हो गई।
ये भी है इत्तफाक…
जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता करने सूबे के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री डॉ. राजीव सैजल भी आज नाहन पहुंचे। सबसे पहले मेडिकल कॉलेज का ही जायजा लिया। वो उस कैजुएलिटी वार्ड में भी गए थे, जहां वीरवार को दिवंगत महिला को लाया गया था। अब सवाल उठता है कि क्या स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इस मामले में सच्चाई सामने लाकर परिवार को न्याय दिया जाएगा या नहीं। साथ ही व्यवस्था को सही करने की कोशिश भी मंत्री द्वारा की जाएगी।
ऐसा भी हुआ…
छोपहर 3 बजे के बाद से एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग(Health department) के अधिकारियों से इस संगीन मामले पर पक्ष जानने की कोशिश की गई। आप यह जानकर हैरान होंगे कि शाम 6 बजे तक भी कोई फोन रिसीव नहीं कर रहा था। इस कथित कारनामे पर जवाब देने के लिए न तो प्रिंसीपल न ही एमएस ने फोन रिसीव किया। यही नहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी (Chief Medical Officer) भी फोन कॉल रिसीव करने से बचते रहे। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के अधिकारी डॉ. एसके कक्कड़ ने भी कई प्रयासों के बावजूद कॉल को रिसीव नहीं किया।
उधर एसडीएम विवेक शर्मा (SDM Vivek Sharma) से भी बार-बार संपर्क करने का परिणाम बेनतीजा रहा। कुल मिलाकर अब अगर विभाग इस समूचे मामले पर लिखित प्रतिक्रिया भेजता है तो प्रकाशित की जाएगी।