मंडी , 03 अगस्त : मात्र डेढ़ साल की बेटी को परिजनों के हवाले छोड़ मीना शर्मा नेरचौक स्थित मैडिकल कॉलेज(Ner chowk medical college) में कोविड -19 के मरीज़ों के इलाज में जुटी हैं। 2017 से नर्सिंग की फील्ड में अपनी सेवाएं दे रहीं है। मीना शर्मा, बल्ह विधानसभा(Balh Assembly) क्षेत्र के रथोहा गांव से संबंध रखती हैं और नेरचौक स्थित मैडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स के पद पर कार्यरत हैं।
मीना बताती हैं कि वे 29 जुलाई 2020 से मैडिकल कॉलेज नेरचौक में कोरोना वार्ड में सेवाएं दे रहीं है तथा एक सप्ताह तक वहीं पर सेवाएं देंगी। उसके पश्चात क्वारंटाइन के लिए 14 दिन तक रहेंगी। उन्होंने कहा कि वे आजतक एक दिन के लिए भी बेटी से अलग नहीं रही हैं पर अब 21 दिन तक अलग रहना पड़ रहा है। यह मां और बेटी दोनो के लिए परीक्षा की घड़ी है। उनका कहना है कि अगर जन सेवा करने का जुनून हो तो बड़ी से बड़ी बिमारी से भी डर नहीं लगता क्योंकि हमारा काम ग्रसित हुए लोगों को ठीक करना है ना कि बिमारी से डरना फिर भी पूरी सावधानियां बरती जा रही हैं।
मीना शर्मा के पति विजय शर्मा डाक विभाग(Postal department) में कार्यरत हैं। यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि डाक विभाग का भी कोरोना के समय सराहनीय योगदान रहा है। जहां पर अन्य सरकारी विभाग कई महीनों तक बंद रहे वहीं पर डाक विभाग का कार्य एक दिन भी नहीं रुका है। नर्सिग की प्रारंभिक पढ़ाई पालमपुर(Palmpur) से पूरी की है तथा नर्सिंग में स्नातक की डिग्री इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला(IGMC) से पूरी की है। उनकी पहली नौकरी 2017 में ज्वाईन किया तथा दो वर्ष तक सेवाएं दी तथा पिछले डेढ़ वर्ष से मेडिकल कॉलेज नेरचौक में सेवाएं दे रही हैं।
ज़रूरतमंदों की मदद के लिए सदैव तत्पर
फिलहाल तो मीना शर्मा मेडिकल कॉलेज नेरचौक में अपनी सेवाएं देर रही हैं लेकिन ड्यूटी के बाद भी लोगों की सेवा में तत्पर रहती हैं तथा आसपास के गांव में भी ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। मीना बताती हैं कि वे अपनी बेटी को वायु सेना में भेजना चाहती हैं। उन्हें परिवार के साथ घूमना, खाना पकाना व डायरी लिखने का बहुत शौक है।
मां और बेटी दोनों कोरोना योद्धा
मीना का कहना है कि उनके परिजन हमेशा से इनके सभी कार्यों में सहयोग करते हैं तथा लोगों की सेवा के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान विभिन्न राज्यों में कई ऐसे मामले पेश आए हैं। जिनमें कोरोना योद्धाओं के साथ परिजनों द्वारा प्रताडि़त किया गया है। लेकिन मीना के परिजन उन सभी से अलग हैं, उन्होंने मीना का इस पुनीत कार्य के लिए हौसला बढ़ाया है। मीना के ससुर शिक्षा विभाग से प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृ हैं और बहु के इस पुनीत कार्य के लिए हमेशा गौरवान्वित महसूस करते हैं और बताते हैं कि इस समय देश सेवा के काम आ रही है। साथ ही अपनी डेड़ साल की पोती की चिंता भी है कि वो इतना समय अपनी मां के बिना कैसे रहेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पोती भी उनकी बहु की तरह योद्धा है। छोटी बेटी का रख रखाव उनकी दादी ही कर रही हैं तथा उनका कहना है कि जो दायित्व उनकी बहु को मिला है वह किस्मत वालों को मिलता है।