नाहन: बीजेपी चीफ डॉ. राजीव बिंदल की नई टीम में एक ऐसे शख्स को दरकिनार कर दिया गया है, जिसकी बदौलत 1998 में भाजपा ने सत्ता पर कब्जा किया था। साथ ही जब मौजूदा पार्टी अध्यक्ष को स्वास्थ्य मंत्री के पद से त्यागपत्र देना पड़ा था तो इसी शख्स ने अपना महामंत्री का पद छोड़कर डॉ. बिंदल को सौंप दिया था। वो शख्स है, राजगढ़ उपमंडल से संबंध रखने वाले चंद्रमोहन ठाकुर। यहां तक की धूमल की पहली सरकार में जब डॉ. राजीव बिंदल ने विधानसभा का उप चुनाव लड़ा था, उस समय भी ठाकुर ने अहम जिम्मेदारी निभाई थी।
दरअसल उस वक्त बिंदल व ठाकुर दोनों ही धूमल के करीबी थे। अब आप सोच रहे होंगे कि भाजपा शीर्ष नेता चंद्रमोहन ठाकुर ने कैसे 1998 में भाजपा की सरकार बनाने में अहम किरदार निभाया था। भाजपा के पास विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा नहीं था। कांग्रेस व भाजपा 1-2 के फेर में ही थी। निर्दलीय प्रत्याषी रमेश ध्वाला को कांग्रेस ने अपने पाले में कर लिया था, लेकिन चंद्रमोहन ठाकुर ही थे, जो उन्हें चौपाल से कांग्रेस के पाले से छुड़वाकर भाजपा के पाले में लाने में सफल हुए थे। धूमल सरकार में गुलाब सिंह ठाकुर को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने सरकार बना ली थी।
भाजपा की यह पहली सरकार थी, जिसने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। भाजपा नेता चंद्रमोहन ठाकुर हालांकि संगठन में तीन बार उपाध्यक्ष व दो बार महामंत्री रह चुके हैं, लेकिन सवाल इस बात पर उठ रहा है कि क्या बिंदल की नई टीम में उनके तजुर्बे के चलते मिशन-2022 में फायदा नहीं होना था। तेजतर्रार जिलाध्यक्ष रहने के दौरान चंद्रमोहन ठाकुर की तत्कालीन प्रदेश प्रभारी व मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई बार प्रशंसा की थी। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो बिंदल की कार्यकारिणी में नड्डा समर्थकों को ही तवज्जों मिली है।
दीगर बात यह भी है कि सिरमौर से सांसद सुरेश कश्यप को एससी मोर्चे की बागडोर सौंपी गई है। इसके अलावा किसी को भी संगठन में जगह नहीं मिली है। उधर पार्टी नेता चंद्रमोहन ठाकुर से जब सवाल किया गया तो उन्होंने चंद शब्दों में अपनी बात कहते हुए कहा कि पार्टी प्रदेषाध्यक्ष का अपना अधिकार क्षेत्र है कि वो किसे शामिल करते हैं, किसे नहीं।