संगड़ाह : बेशक देश व प्रदेश में आए दिन भ्रष्टाचार व बेइमानी संबंधी खबरें सुर्खियों में रहती हों, मगर सोने की चिड़िया के नाम से जाने जाने वाले इस देश में ईमानदारी भी जिंदा है। पशुपालन विभाग में बतौर फार्मासिस्ट कार्यरत उपमंडल संगड़ाह के गांव कुफ्फर के सत्यपाल ने उन्हें सड़क पर मिले पर्स के मालिक को ढूंढ निकाला और ईमानदारी की मिसाल पेश की।
गत 15 जनवरी को बस अड्डा संगड़ाह के समीप सत्यपाल को एक बटुआ मिला, जिसमें खूड़-द्राबिल पंचायत के धनवीर सिंह का बिना मोबाइल नंबर वाला आधार कार्ड व राशन कार्ड आदि दस्तावेज थे। एक सप्ताह की कोशिश के बाद मालिक का पता न चलने पर उन्होंने बुधवार को राशन कार्ड पर मौजूद पंचायत खूड़-द्राबिल के प्रधान अनिल से संपर्क किया।
प्रधान द्वारा इस बारे बटुए के मालिक को सूचना दी गई, हालांकि बुधवार सायं तक पर्स का मालिक इसे लेने नहीं पहुंचा था। पर्स में दस्तावेजों के साथ-साथ 4,700 रुपए भी थे। पंचायत प्रधान अनिल कुमार तथा बटुए के मालिक ने पर्स लौटाने के लिए फोन पर सत्यपाल का धन्यवाद किया।
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