ऊना: चंद सप्ताह से शहीदों की पार्थिव देह को समय पर पैतृक घर पहुंचाने का मामला खासी चर्चा में है। इसको लेकर हाल ही में राज्यपाल ने भी सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक में टिप्पणी की थी। ताजा मामला, हमीरपुर के शहीद वरुण कुमार शर्मा से जुड़ा हुआ है। सियाचिन गलेशियर में ब्रेन स्ट्रोक की वजह से वरुण कई दिन तक चंडी मंदिर में जिंदगी व मौत की लड़ाई लड़ता रहा।
रविवार शाम 4 बजे के आसपास जिंदगी की जंग हार गया था। पार्थिव देह को सोमवार को भी घर नहीं पहुंचाया गया। तीसरे दिन जब पार्थिव देह को चंडी मंदिर से सड़क मार्ग से पैतृक गांव लाया जा रहा था तो शव वाहन रास्ते में ही खराब हो गया। जानकारी यह है कि लगभग अढ़ाई घंटे तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हुई। अगर इसमें सेना की चूक थी तो चंडी मंदिर से तुरंत ही दूसरा वाहन भेजा जा सकता था। पार्थिव देह को घर ले जा रहे सेना के अन्य जवानों को भी वैकल्पिक वाहन का इंतजाम करना पड़ा।
मैहतपुर में जब हाईवे के किनारे लोगों ने सेना के जवानों को खड़ा देखा तो शव वाहन के खराब होने का खुलासा हुआ। लोगों ने 108 की मदद लेने की भी कोशिश की। लेकिन वो नहीं जानते थे कि 108 मदद नहीं कर सकती है, क्योंकि इसके अपने पैरामीटर्स हैं। मामला, प्रशासन के संज्ञान में पहुंचा तो तुरंत ही स्थानीय प्रशासन ने वैकल्पिक वाहन की व्यवस्था करने के बाद शहीद की पार्थिव देह को घर के लिए रवाना किया। देरी की वजह से शहीद के अंतिम संस्कार में भी विलंब हुआ।
प्रशासन का कहना है कि मीडिया द्वारा ही उनके ध्यान में मामला लाया गया था। इसके बाद ही वैकल्पिक व्यवस्था कर तुरंत ही पार्थिव देह को घर भेजा गया।
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