नाहन : देवभूमि के शिक्षा जगत में कृष्णकांत चंदोला का नाम परिचय का मोहताज नहीं है। 1979 में 6 बच्चों से आदर्श विद्या निकेतन स्कूल की नींव रखी। आज यह संख्या 1200 के आसपास पहुंच चुकी है। 1989 में स्कूल को मैट्रिक का दर्जा मिला। फिर 2006 में जमा दो की कक्षाएं शुरू हो गई। ऐसे शिक्षाविद हैं, जिनके शिष्य यूएसए, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान, चीन व यूके समेत तकरीबन 30 देशों में मौजूद हैं।
अपने शिष्यों से अटूट रिश्ता बनाए रखा है। गणित व अंग्रेजी में नींव ऐसी मजबूत कर देते हैं कि स्टुडेंट आगे चलकर न केवल डॉक्टर-इंजीनियर, बल्कि कई प्रशासनिक ओहदों पर भी पहुंचने में कामयाब हो जाता है।
एमबीएम न्यूज से बातचीत करते हुए एवीएन स्कूल के संस्थापक व प्रधानाचार्य केके चंदोला कहते हैं कि आज विदेशों से जब शिष्यों का फोन आता है तो उनका सीना फक्र से चौड़ा हो जाता है। हालांकि चंदोला को अब ठीक से याद भी नहीं है कि कितने स्टुडेंटस कहां-कहां तक पहुंचे हैं। अलबत्ता यह जरूर कहते हैं कि ऐसी योजना पर काम करेंगे, जिससे तमाम ओल्ड स्टुडेंटस को इकट्ठा किया जाए। यकीन मानिए, स्कूल की दसवीं, बारहवीं के नतीजे तो बेहतरीन आते ही हैं, औसतन हर साल दो-तीन स्टुडेंटस बोर्ड परीक्षाओं में मैरिट भी हासिल कर लेते हैं।
18 सितंबर 1951 को जन्मे चंदोला कहते हैं कि सिद्धांतों पर शिक्षा देने की कोशिश करते हैं। उनका यह भी कहना है कि पाश्चात्य संस्कृति ने जीवन मूल्यों को आघात पहुंचाया है। 40 से अधिक शिक्षकों पर भी कुशल प्रशासक की तरह पकड़ रखते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान पर शिक्षाविद चंदोला को राष्ट्रीय स्तर पर चार अवार्ड मिल चुके हैं, जबकि प्रदेश की शायद ही कोई ऐसी नामी संस्था हो, जिसने उन्हें सम्मानित कर सेल्यूट न किया हो।
क्या है पारिवारिक पृष्ठभूमि….
18 सितंबर 1951 को शिक्षाविद केके चंदोला का जन्म स्व. एसपी चंदोला व कमला चंदोला के घर पर हुआ था। पिता आयुर्वैदिक विभाग में डॉक्टर थे। 80 के दशक में पिता सेवानिवृत हुए। पिता की सेवानिवृति से महज एक साल पहले स्कूल खोलने का फैसला लिया। चुनौतीपूर्ण जीवन था, क्योंकि अकेले ही टीचर भी थे, प्रशासक भी। उस समय 8 से 10 घंटे मेहनत करते थे। आज भी सुबह से शाम तक स्टुडेंटस के बीच में ही उनका कैरियर संवारने में लगे रहते हैं। पत्नी प्रतिभा चंदोला भी स्कूल का ही कामकाज कंधे से कंधा मिलाकर देखती हैं।