एमबीएम न्यूज/शिमला
दक्षिण हिमाचल के बेरोजगारों को हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग की दक्षता परीक्षा व मूल्यांकन प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए आर्थिक व मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। सोचिए, अपर शिमला, किन्नौर के अलावा सिरमौर के रिमोट क्षेत्रों से छंटनी परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले युवाओं को किस स्थिति से गुजरना पड़ता होगा, जब उन्हें पहले दक्षता परीक्षा, फिर मूल्यांकन प्रक्रिया के लिए हमीरपुर का रुख करना पड़ता है।
इन दुर्गम क्षेत्रों से युवा एक दिन में वापस नहीं लौट सकते हैं, बल्कि तीन दिन का समय एक मर्तबा हमीरपुर जाने के लिए लगता है। इन तर्कों के साथ युवाओं के प्रतिनिधिमंडल ने वीरवार को आयोग के सचिव डॉ. जितेंद्र कंवर से मुलाकात की। तर्क दिया गया कि दक्षिण हिमाचल के चार जिलों के लिए सोलन में केंद्र बनना चाहिए। ज्ञापन में कहा गया कि हमीरपुर आने के लिए एक बरोजगार युवक को न्यूनतम 2500 रुपए की राशि खर्च करनी पड़ती है। अधिकतर क्षेत्रों से हमीरपुर की परिवहन सुविधा भी नहीं है।
पिछली परीक्षाओं का आंकड़ा देखें तो पता चलता है कि महज 10 मिनट की टंकण परीक्षा के लिए बेरोजगारों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। जेओए के 1350 पदों के लिए पांच गुणा परीक्षार्थी बुलाए गए थे। अगर औसतन एक बेरोजगार का खर्चा 2500 रुपए मान लिया जाता है तो आंकड़ा एक करोड़ 68 लाख 75 हजार बनता है। सुझाव दिया गया है कि सोलन के राजकीय महाविद्यालय की कंम्प्यूटर लैब को उप केंद्र बनाया जा सकता है।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए कमरऊ के जामना के रहने वाले अनिल चौहान ने कहा कि सचिव ने इस बाबत उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया है।