सुभाष कुमार गौतम/बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश में अकसर आज से पहले यह माना जाता रहा है कि कुछ फसलें ऊंचाई व बर्फ वाले इलाकों में ही होती है। जहां हर साल बर्फबारी होती है। क्लाइमेट फसलों के अनुसार होता है। इसे आप चमत्कार ही कह लो कि गुच्छी जैसी कीमती फसल का बिलासपुर जिला में मिलना एक करिश्मा ही है, क्योंकि यह अधिकतर समुद्र तल से 90,000 फीट तक की ऊंचाई पर पैदा होती है। इसकी कीमत हजारों में है।
इतना ही नहीं बिलासपुर जैसे जिलों में अच्छी किस्म के सेब का उत्पाद होना भी एक बहुत हैरानी का विषय है। आपको बता दें कि यह मामला 6 नवंबर का है। जब घुमारवीं के राजकीय स्वामी विवेकानंद डिग्री कॉलेज में लेबर सफाई और कांट-छांट का काम कर रही थी। अचानक उनकी नज़र इस गुच्छी पर पड़ गई। उन्होंने गुच्छी को उठाकर रख दिया। लेबर में काम करने वाला हरी नेपाल का है। वह हिमाचल व लेह जैसे इलाकों में काम करता रहा है, इसलिए वो गुच्छी से भली-भांति परिचित है। इस चीज की उसे खास पहचान भी है।
अगर कृषि विभाग इस विषय पर थोडा ज़ोर लगाए, तो हो सकता है यह कीमती फसल बिलासपुर व अन्य निचले जिलों के किसानों व बागवानों की किस्मत बदल दे। बस बात है मेहनत की। इससे पहले भी एक मामला भराड़ी उप तहसील के भपराल के बडौन गांव में सामने आया था। वहां भी कुछ गुच्छी मिली थी। गुच्छी प्रचुर मात्रा में कैसे उत्पादित हो और किसान आत्मनिर्भर बन सके।
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