मोक्ष शर्मा/नैना टिक्कर
पच्छाद विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नैना टिक्कर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की कमान एक महिला दंत चिकित्सक नेहा के हाथों में हैं। वह पिछले साढ़े छः सालों से यहां कार्यरत हैं। पीएचसी की शुरुआत वर्ष 2010 में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल, जो कि उस दौरान स्वास्थ्य मंत्री थे के द्वारा हुई थी। कुछ समय तक इसे किराए के भवन में चलाया गया। यहां पर चिकित्सक की कमी के चलते डा. नेहा एक दंत चिकित्सक होते हुए भी जर्नल ओपीडी के मरीजों को देखने के लिए विवश थी, क्योंकि इस पीएचसी में करीब आधा दर्जन पंचायतो के मरीज़ आते हैं।
चिकित्सक न होने के कारण उन्हें निराश न होना पड़े इस कारण डा. नेहा ने ही ओपीडी की जिम्मेदारी भी संभाली। हलांकि बीच में कुछ समय के लिए एक चिकित्सक को यहां तैनात किया गया था, लेकिन किन्हीं कारणों से वह भी यहां सेवाएं नहीं दे पाए। डा. नेहा ने बताया कि शुरुआती सफ़र थोड़ा कठिन था, क्योंकि संसाधनों की कमी के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
क्या कहतीं हैं डा.नेहा अग्रवाल…
स्वास्थ्य केंद्र में डा. नेहा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यहां सेवाएं देना कठिन जरूर था, लेकिन लोगों की परेशानी के सामने उन्हें अपना संघर्ष छोटा लगा। वो ज़िला सोलन से रोज़ यहां आकर अपनी सेवाएं देतीं हैं। बिना किसी सहायक के वो अपनी सेवाएं यहां दे रहीं हैं। उनसे संवाद से ये स्पष्ट है कि परिवार की जिम्मेदारी के साथ-साथ चिकित्सक के तौर पर भी दोहरी भूमिका निभाते हुए अपना कार्य निपुणता से कर रहीं हैं।
क्या है वर्तमान स्थिति…
मौजूदा समय में पीएचसी को एक आलीशान भवन मिला है, जोकि लगभग 50-60 लाख की लागत से बना है। परंतु इसके बावज़ूद यहां पर कोई चिकित्सक सरकार तैनात नहीं कर पाई। कुछ दिनों पूर्व हुए जनमंच में स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष यह मुद्दा उठाया गया है, जिसमें लोगों के हाथ केवल आश्वासन लगा है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग…
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस स्वास्थ्य केंद्र में लोग बड़ी दूर के दुर्गम इलाकों से आते हैं। कुछ मरीज़ तो हरियाणा की सीमा के साथ लगे गांवों से यहां पहुंचते हैं। हालांकि उनका यह भी कहना था कि डा.नेहा ने कभी उन्हें चिकित्सक की कमी महसूस होने नहीं दी। वो दंत चिकित्सा के साथ-साथ जनरल ओपीडी के लिए भी मरीजों को हताश नहीं करती हैं।
छानबीन करने पर हमें प्राप्त हुई जानकारी…
जब हमारी टीम ने इलाके में छानबीन की तो पता चला कि यहां पर केवल एक महिला चिकित्सक हैं। जो बिना किसी सहायक के सारा कार्यभार भली-भांति देख रहीं हैं। अभी तक के कार्यकाल में कभी किसी शिकायत का मौका किसी मरीज़ को नहीं दिया। खास बात यह भी है कि यहां डा. साहिबा को पानी पिलाने के लिए भी किसी की तैनाती नही की गई है। अधिक खोजने के बाद जानकारी मिली कि पास के गांव के देवेंद्र सिंह (41) यहां पिछले 8 सालों से सेवाएं दे रहें हैं, जिन पर सरकार की कोई नज़र नहीं है।
देवेंद्र सिंह वहां चतुर्थ श्रेणी पर अपनी सेवाएं दे रहें हैं, परंतु उन्हें दिहाड़ी भी नसीब नही हो रही है। उनका कहना है कि वो भी सरकार से गुहार लगा कर थक चुके हैं। परंतु उनकी सुनवाईं के लिए कोई राजी नहीं। सूत्रों के मुताबिक सियासी उठा पटक के चलते डा. नेहा का भी तबादला कर दिया गया है, लिहाजा महिला चिकित्सक की सेवाओं व व्यवहार से प्रभावित लोग चिंतित गए है।