एमबीएम न्यूज़/हमीरपुर
जमाना बदल रहा है। जाहिर है लोगों की सोच भी बदल रही है। कई लोग अब परंपराओं की तुलना में विवेक को महत्व देने लगे हैं। हमीरपुर जिला में भी दो परंपराएं लोगों पर भारी पड़ रही थीं। जिले के भोरंज उपमंडल की भलवानी पंचायत के जागरूक लोगों ने पहल कर पुरानी बेड़ियों को तोड़ा। इन परंपराओं को बदलने की पहल की।
पहली परंपरा थी शादी या अन्य समारोह में से धाम (खाना) साथ लेकर जाने की। दूसरी परंपरा दाह संस्कार के समय शव पर कफन डालने की थी। इन परंपराओं के कारण लोगों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा था। सात वार्डो वाली भलवानी पंचायत में दो अक्टूबर को ग्रामसभा की बैठक में ग्रामीणों ने ऐतिहासिक निर्णय लिया। उन्होंने कमरतोड़ महंगाई के दौर में दोनों परंपराओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। पंचायत व ग्रामीणों का यह निर्णय सामाजिक हित में होने पर इसकी सभी सराहना कर रहे हैं।
शादी व अन्य समारोहों में खाना बनाने पर 20 से 25 हजार रुपये खर्च आता है। लोग किसी की शादी या समारोह में आते तो खाना खाने के बाद टिफिन भरकर साथ ले जाते थे। जिस घर में शादी या समारोह होता था। उस परिवार को सब्जी की एक चरोटी बलटोही के स्थान पर दो तीन चरोटियां बनानी पड़ती थीं। इससे खर्च बढ़ रहा था। अब लोग समारोहों में टिफिन नहीं लाएंगे।
अब होगी आर्थिक मदद
दाह संस्कार के समय सभी ग्रामीण शव पर कफन डालते थे जो बाद में जल जाता था। पंचायत के सामूहिक निर्णय के अनुसार अब ग्रामीण शव पर कफन डालने की बजाय संबंधित परिवार की आर्थिक मदद करेंगे, ताकि उस राशि का सही उपयोग हो सके।
कडाई से लागू होगा निर्णय
पंचायत प्रतिनिधियों ने सभी घरों में दोनों निर्णय कडाई से लागू करने का आदेश दिया है। निर्णयों की सूचना पंचायती राज विभाग व जिला के प्रशासनिक अधिकारियों को भेजी गई है। ग्रामीणों के आग्रह पर पंचायत ने शादी या अन्य समारोहों में टिफिन लेकर जाने पर प्रतिबंध लगाया है। पंचायत तीन मोक्ष धामों का भी निर्माण करेगी। पंचायत प्रतिनिधि व ग्रामीण मिलकर ऐतिहासिक निर्णय लेने में सक्षम हैं। शादी समारोह में फिजूल खर्च कम करने के लिए लिया गया निर्णय सराहनीय है।
हमीरपुर के रीति-रिवाज