श्री रेणुका जी (एमबीएम न्यूज) : 22 जून की सुबह ददाहू बस स्टैंड पर सनसनी थी क्योंकि शौचालय से बाहर करीब छह माह का भ्रूण फेंका गया था। अब इस मामले में नई बात यह है कि वह युवती पूनम (परिवर्तित नाम) अब उसी व्यक्ति से प्रणय सूत्र में बंध गई है, जिसके कारण गर्भ ठहरा था। साथ ही यह भी करीब-करीब साफ हो गया है कि गर्भ में पल रहे शिशु की उम्र छह माह से कम थी।
हालांकि आईजीएमसी शिमला से पुलिस को रिपोर्ट अब सोमवार तक ही मिल पाएगी, लेकिन छानबीन में यह भी साफ हुआ है कि पूनम का विवाह जिस व्यक्ति से तय हुआ था, उसी व्यक्ति द्वारा शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने के कारण ही पूनम का गर्भाधारण हुआ था। पुलिस अब पूनम के साथ-साथ उसके पति के भी डीएनए सैंपल लेगी।
सूत्र बताते हैं कि नवजात शिशु के शव से डीएनए सैंपल नहीं लिए जा सकते थे। इसी कारण फोरेंसिक आकलन के बाद ही सही तथ्य सामने आएंगे। इसके बाद ही यह साफ होगा कि जिस भ्रूण को शौचालय से बाहर फैंका गया था, वह वास्तव में पूनम व उसके पति का था या नहीं। अलबत्ता इतना तय है कि आईपीसी की धारा-318 के तहत पूनम के साथ-साथ उसका पति भी इस कृत्य के लिए जिम्मेेदार होगा।
सूत्र यह भी बताते हैं कि गांव के लोगों के दबाव के कारण पूनम की शादी करवाई गई है, ताकि वह तनाव में आकर कोई गलत कदम न उठा ले। घटना की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने कहा कि सोमवार को रिपोर्ट मिलने के बाद स्थिति पूरी तरह से साफ होगी। उन्होंने कहा कि जहां तक शादी का सवाल है तो उन्हें परिवार के सदस्यों ने मौखिक सूचना दी है, लेकिन जल्द ही दोनों को डीएनए सैंपल के लिए बुलाया जाएगा।
क्या मिलेंगे पुलिस को मेडीकल रिपोर्ट में जवाब?
पूनम व उसका पति ही क्या थे शिशु के माता-पिता। पूनम की गर्भाधारण की तिथि क्या थी। जिस वक्त भ्रूण फेंका गया, उस वक्त उसमें सांसें थी या नहीं। क्या गर्भ को जानबूझ कर गिराने के लिए किसी दवा का इस्तेमाल किया गया या नहीं क्योंकि प्रारंभिक छानबीन में पूनम ने पुलिस को बताया था कि उसने दवाई खाई थी, उसके बाद उसे जोर से दर्द हुआ। गौरतलब है कि कानूनी तौर पर छह माह के गर्भ को नहीं गिराया जा सकता है। विशेष मेडीकल परिस्थितियों में ही संभवत: ऐसा किया जा सकता है।