वी कुमार /मंडी
शौक बड़ी चीज है। जब शौक पूरा करना हो तो भले ही आप जिस मर्जी फील्ड में काम कर लें आप अपनी शौकिया हसरत को किसी न किसी तरह से पूरा कर ही लेते हैं। कुछ ऐसे ही शौक को पूरा करके अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे हैं मंडी जिला निवासी डा. गौरव ठाकुर। डा. गौरव ठाकुर पेशे से आयुर्वेद के डाक्टर हैं, लेकिन उनका शौक गीतकारी का है।
कोटली गांव के रहने वाले 27 वर्षीय डा. गौरव ठाकुर को गीतकारी का शौक है। इस शौक को वह बीते 11 वर्षों से लग्न के साथ पूरा कर रहे हैं। गौरव ने 2007 में गीत लिखने की शुरूआत की। इस काम को उन्होंने शौकिया अंदाज में किया, लेकिन यह शौक आज उन्हें एक नई मंजिल की तरफ ले जा रहा है।
गौरव अभी तक 100 के करीब गानों को लिख चुके हैं। जिसमें अधिकतर पहाड़ी, कुछ पंजाबी और हिंदी गाने भी शामिल हैं। गौरव के लिखे गीतों को अभी तक डा. कपिल शर्मा, सारेगामा फेम पायल ठाकुर, रचना ठाकुर और टीआर डोगरा जैसे गायक आवाज दे चुके हैं। गौरव के जो गाने फेमस हुए, उनमें ‘मुख मोड़े दिल तोड़े’, ‘रब्बा वे रब्बा’, ‘चम्बे वाली जूती’, ‘तरले’, ‘ठाणेदार’, ‘पूनम और बापू फुआरी’ मुख्य रूप से शामिल हैं।
गौरव का हाल ही में चम्बे वाली जूती गीत काफी फेमस हुआ है। इस गीत के माध्यम से उन्होंने पूरे हिमाचल का वर्णन किया है। हर जिले की खासियत को कलमबद्ध करके उन्हें एक सूत्र में पिरोया है। यही नहीं गौरव ने शिमला के दर्दनाक युग हत्याकांड का वर्णन भी गीत के माध्यम से किया है। उन्होंने इस पर 8 मिनट का गीत लिखा है। इसके लिए सीएम ने उन्हें हाल ही में पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया है।
अब गौरव के गीत एक नई दिशा की तरफ बढ़ रहे हैं। गौरव ऐसे गानों को लिखने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जो हिमाचल की भाषा को भी प्रमोट कर और लोगों को आसानी से समझ भी आ जाए। यानी ऐसा गीत जिसे हिमाचल के अलावा पूरे देश के लोग सुनें तो उन्हें मालूम हो कि गीत के माध्यम से क्या कहने का प्रयास किया जा रहा है।
इस दिशा में गौरव ने काम करना भी शुरू कर दिया है। चम्बे वाली जूती गाना उनका पहला प्रयास है और इसके काफी ज्यादा सराहा भी जा रहा है। गौरव अपने इस शौक को अपने मुख्य पेशे से समय निकालकर पूरा कर रहे हैं। जब भी उनके पास समय होता है तो वह स्थान न देखकर गीतों को लिखने में जुट जाते हैं ताकि कुछ नया किया जा सके।