रेणु कश्यप/नाहन
महज 25 साल की उम्र में आईपीएस बने रोहित मालपानी ने बतौर पुलिस अधीक्षक महज 11 महीने में अपनी काबलियत को साबित कर दिखाया है। बेहद लो प्रोफाइल में रहने वाले एसपी ने इस अवधि के दौरान ऐसे कारनामे कर दिखाए, जो अचंभित भी करते हैं। इसमें 32 साल पुराने मामले में अपराधी की गिरफ्तारी व 12 साल बाद हत्या के आरोपी की अरेस्टिंग अहम है।
अपनी सफलता को एसपी ने साझा नहीं किया, बल्कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने ही अपने स्तर पर आंकड़े जुटाने का प्रयास किया। मात्र 11 महीने में उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त बन गई है। खास बात यह है कि सिरमौर में बतौर एसपी नियुक्ति कांग्रेस सरकार के वक्त हुई थी। करीब-करीब हरेक जिला के एसपी सत्ता परिवर्तन के बाद बदल दिए गए, लेकिन कुल्लू व सिरमौर के एसपी नहीं बदले गए। संभवत: पुलिस अधीक्षक की काबलियत का अहसास मौजूदा सरकार को भी था।
खास बात यह भी है कि एसपी कार्यक्रमों में शिरकत करने की बजाय केवल आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए रात 2-3 बजे तक भी व्यस्त रहते हैं। आईआईटी चेन्नई से इलैक्ट्रिकल ट्रेड में बी टेक करने के बाद कम्युनिकेशन में एम टेक की पढ़ाई का लाभ भी युवा आईपीएस अधिकारी को मिल रहा है। 21 जून 1986 को जन्मे रोहित मालपानी को किन्नौर में भी कुछ महीने पुलिस अधीक्षक रहने का मौका मिला। चंद रोज एसपी हमीरपुर भी रहे।
करीब दो साल तक एमएनसी में नौकरी करने के बाद जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य 2012 में उस वक्त मिला, जब आईपीएस बन गए। मूलत: जयपुर के रहने वाले रोहित मालपानी ने किन्नौर में भी चीन बॉर्डर पर पुलिस कर्मियों के रहने की उचित व्यवस्था करने में सफलता हासिल की थी। अहम बात यह भी है कि आपराधिक वारदात को क्रैक करने के बाद खुद को पब्लिसिटी से दूर रखते हैं। साथ ही अपनी टीम कर्मियों को ही फ्रंट पर लाते हैं।
इस तरह है 11 महीनों का कार्यकाल बेमिसाल…
30 भगौड़ों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। इसमें 12 व 32 साल पुराने मामलों को भी कुरेद दिया गया। फाइलों पर धूल जम चुकी थी। अस्पताल से फरार कैदी को सलाखों के पीछे दोबारा पहुंचा दिया गया। बताते हैं कि एसपी की आधुनिक तकनीक ही मददगार बनी।
कालाअंब से फरार कैदी राजीव कौशल को पंजाब पुलिस इस कारण दबाचने में कामयाब हुई, क्योंकि स्थानीय पुलिस ने जबरदस्त इनपुट उपलब्ध करवाए थे।
पांवटा साहिब में दिनदहाड़े ही घर में घुसकर बुजुर्ग दंपत्ति से लूटपाट की घटना मिस्ट्री को भी चंद रोज में सुलझा कर रख दिया।
चंद महीने पहले आधी रात को जब पुलिस लाइन में दबिश दी थी, उस वक्त करीब दो दर्जन कर्मी गायब थे। ऐसी सजा मुकर्रर की कि समाचारपत्रों के फ्रंट पेज की खबर थी। इसमें डयूटी पर गायब कर्मचारियों को रोड मार्च की सजा दी गई थी।
नाहन थाना में 100 नंबर क्यों नहीं चलता है, इसको लेकर भी रात के दो बजे दबिश दी। डयूटी पर तैनात कर्मी सोता पाया गया तो उसे सस्पेंड कर दिया गया।
सीसी कैमरों पर खासा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। कुछ जगहों पर गोपनीय तरीके से कैमरे लगवाएं हैं, ताकि पुलिस कर्मियों के साथ-साथ लोगों की आवाजाही पर नजर रखी जा सके।
नाहन के देहली गेट पर पर स्थित एक ज्वैलरी शॉप से सरेआम मुंह में दबाकर सोना चुरा लिया गया था। लेकिन गैंग को राजस्थान से दबोच लिया गया।
एसपी ने कार्यभार संभालने के बाद पुलिस कर्मियों की ट्रांसफर पॉलिसी का अवलोकन किया। उनसे पहले समय में जो पुलिस स्टाफ कालाअंब व पांवटा साहिब की पोस्टिंग के लिए जुगाड़ लगाते थे, उस पर पूरी तरह से अंकुश लगा दिया।
गुड़िया हत्याकांड में पिता ने उठाये सीबीआई की जाँच पर सवाल :https://goo.gl/nbQQb9
छात्राओं में सुरक्षा का वातावरण बनाया। राजनीतिक हस्तक्षेप को बिलकुल कबूल नहीं किया। पुलिस भर्ती को बहुत पारदर्शितापूर्ण तरीके से निपटाया। कुशाग्रबुद्धि अभ्यार्थियों को उनकी मेहनत के हिसाब से पुलिस में नौकरी के द्वार खुले। युवा सब इंस्पेक्टर व इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को मोराल बुस्ट करते हुए संवेदनशील थानों में तैनाती दी।
पांवटा साहिब में प्रदेश की पहली पीसीआर वैन चलाई। इससे पुलिस कर्मियों को रात्रि गश्त की चौकसी बढ़ाने में फायदा हुआ।
शराब के नशे में धुत्त होकर गाड़ी चलाने वालों पर पहली बार बड़े स्तर की कार्रवाई हो रही है। यहां तक की कोर्ट से सजा होने की भी संभावनाएं हैं।
पुलिस कर्मियों को व्हाटसएप से जोड़ा हुआ है। इस कारण फरलो मारने से परहेज करने लगे हैं।
रात के वक्त अहम स्थानों पर पुलिस की नाकाबंदी नजर आती है। हालांकि व्यवहार से नरम नजर आते हैं, लेकिन कोताही पर कडक़ तरीके से सख्ती बरतने में परहेज नहीं करते हैं।