एमबीएम न्यूज़ /शिमला
प्रदेश के स्कूलों में अनुबंध पर नियुक्त पीटीए शिक्षकों को नियमित करने के मामले पर प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने सरकार से चार सप्ताह में लिखित जबाव देने के आदेश दिए हैं। ट्रिब्यूनल ने सरकार से पूछा है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने पीटीए अध्यापकों के विरुद्ध मामले को निरस्त कर दिया है तो शिक्षकों को नियमित क्यों नहीं किया जा रहा है।
यह बात हिमाचल प्रदेश पीटीए शिक्षक संघर्ष मंच के महासचिव संजीव ठाकुर ने जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि दिनेश कुमार ( हमीरपुर), कपिल शर्मा (शिमला), रवि कुमार (बिलासपुर), पुष्पा कुमारी (चम्बा) रमेश शर्मा ( शिमला) आदि द्वारा हाई कोर्ट के अधिवक्ता कुश शर्मा व पवन शर्मा के माध्यम से प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में 22-05-2018 को नियमितीकरण के लिए याचिकाएं दायर की गईं हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में हुई सुनवाई के दौरान सरकार को माननीय सर्वोच्च न्यायलय के 13-02-2017 को दिए गए अन्तरिम आदेशों अनुसार याचिकाकर्ताओं के नियमितीकरण पर विचार करने के अन्तरिम आदेश दिए हैं।
महासचिव मुताबिक सरकार से इस को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने पीटीए अध्यापकों के मामले को निरस्त कर दिया है तो शिक्षकों को नियमित क्यों नही किया जा सकता। अब मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी। प्रदेश में लगभग 5000 पीटीए शिक्षक अनुबंध आधार पर नियुक्त हैं। 1400 पीटीए शिक्षक अब तक अनुबंध पर भी नहीं आ पाए हैं, हालांकि, इन शिक्षकों को सरकार अनुबंध शिक्षकों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाएं दे रही है ।
हिमाचल प्रदेश पीटीए शिक्षक संघर्ष मंच का यह भी कहना है कि अनुबन्ध पीटीए अध्यापक अपना तीन साल का अनुबन्ध कार्यकाल बीते जनवरी माह में ही पूरा कर चुके हैं व अन्य अध्यापक पिछले 3 साल से अनुबन्ध के समकक्ष लाभ ले रहे हैं। महासचिव का यह भी कहना है कि ऐसे में नियमितीकरण में देरी अध्यापकों के भारी मानसिक दबाव का कारण बन चुकी है, ताकि अध्यापकों के पिछले 13 साल के शोषण से उनको मुक्ति मिल सके
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