सोलन (एमबीएम न्यूज) : जिला के अर्की निर्वाचन क्षेत्र में प्रस्तावित एनएमडीसी चूना पत्थर परियोजना अब जल्द ही कार्य करना आरंभ कर देगी। इसकी वजह यह है कि पर्यावरण मंत्रालय व भारतीय इस्पात प्राधिकरण के साथ समझौता एवं सभी औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद राज्य सरकार ने एनएमडीसी अर्की की पत्थर परियोजना की खनन लीज को सैद्धांतिक तौर पर स्वीकृति प्रदान कर दी है।
अर्की में उक्त चूना पत्थर परियोजना के शुरू होने से जहां प्रदेश के सैंकड़ों बेरोजगार हाथों को रोजगार मिलेगा, वहीं सरकार को भी प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का राजस्व प्राप्त होगा। विदित हो कि बीते करीब 25 वर्षों से एनएमडीसी जिला सोलन के अर्की निर्वाचन क्षेत्र में चूना पत्थर कारखाना खोलने के लिए संघर्ष कर रही है।
एनएमडीसी अर्की उपमंडल की ग्राम पंचायत घनागुघाट में कई बीघा क्षेत्र में चूना पत्थर पर आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए प्रयासरत है, लेकिन परियोजना को शुरू करने के लिए सभी जरूरी औपचारिकताओं को पूर्ण करने में एनएमडीसी को एक लंबी जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है।
परियोजना को आरंभ करने से पूर्व एनएमडीसी प्रबंधन के लिए पर्यावरण मंत्रालय से खनन लीज स्वीकृति, वनभूमि, खनन योजना तथा भारतीय इस्पात प्राधिकरण के साथ हुए समझौते के मुताबिक मंजूरी लेना अनिवार्य था। इन सभी औपचारिकताओं को पूर्ण करने में एनएमडीसी को करीब 25 वर्ष से अधिक का समय लग गया।
अर्की में चूना पत्थर कारखाना को शुरू करने के लिए एनएमडीसी संघर्ष करती रही और इसका परिणाम यह रहा कि एनएमडीसी की अर्की चूना पत्थर परियोजना को अब राज्य सरकार ने खनन लीज की स्वीकृत प्रदान कर दी है। सूत्रों की मानें तो किन्हीं कारणों के चलते परियोजना की लीज अवधि वर्ष 2011 में ही समाप्त हो गई थी जिसके नवीनीकरण हेतु वर्ष 2009 में आवेदन किया गया था।
आवेदन के करीब 6 साल बीत जाने के उपरांत अब राज्य सरकार ने खनन लीज को अपनी सैंद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है। परियोजना के खनन लीज क्षेत्र में कुल 3193 बीघा भूमि प्रस्तावित है। जिसमें से 1342 बीघा सरकारी वन भूमि के लिए केंद्र सरकार ने इसी वर्ष अंतिम मंजूरी प्रदान की है। 50 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता की इस चूना पत्थर खनन परियोजना को सिरे चढऩे के लिए केंद्र सरकार द्वारा करीब रुपए 1024 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है।
50 लाख टन चूना पत्थर उत्पादन में से 37 लाख टन पत्थर इस्पात बनाने योग्य होगा जिसे भारतीय इस्पात प्राधिकरण एवं आदि इस्पात इकाइयों को दिया जाएगा एवं शेष 13 लाख टन पत्थर का उपयोग सीमेंट इकाई लगाकर किया जाएगा अथवा अन्य सीमेंट इकाईयों को दिया जाएगा।
हालांकि सडक़ मार्ग से परिवहन के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पांच वर्ष की अनुमति प्रदान की है, लेकिन प्रदूषण एवं पर्याप्त सडक़ों के अभाव से चिंतित राज्य सरकार अभी भी इसके लिए तैयार नहीं है। जबकि एनएमडीसी के पास हाइवे से परियोजना तक की सडक़ के चौड़ीकरण के लिए 16 करोड़ की स्कीम तैयार है। साथ ही पानी की उचित व्यवस्था के लिए भी 13 करोड़ की स्कीम अनुमोदित है।
लीज की इस स्वीकृति के पश्चात् भी हिमाचल सरकार के समक्ष एनएमडीसी को 1851 बीघा निजी भूमि का अधिग्रहण कर सौंपने का एक बड़ा कार्य लंबित हैं। इसके पश्चात् ही परियोजना अपना मूर्त रूप धारण कर सकेगी एवं क्षेत्र व प्रदेश के रोजगार एवं विकास में भागीदार बन पायेगी।
इधर क्षेत्रवासियों का कहना है कि भारत सरकार की नवरत्न कंपनी एनएमडीसी, जोकि देश की सबसे बड़ी लोह अयस्क उत्पादक है को लीज प्रदान कर सरकार ने प्रदेश के विकास में एक और अध्याय जोड़ा है। इसके लिए एनएमडीसी प्रबंधन प्रदेश सरकार का तहदिल से आभार व्यक्त करती है।
एनएमडीसी की चूना पत्थर परियोजना को प्रदेश सरकार द्वारा खनन लीज की स्वीकृति प्रदान करने पर अर्की निर्वाचन क्षेत्र की जनता में खुशी की लहर है। अर्की कांग्रेस व्यापार सैल के पूर्व अध्यक्ष अनिल गुप्ता, कांग्रेस सेवादल के राज्य संगठन मंत्री सुरेंद्र वर्मा, रविकांत ठाकुर व वेद शुक्ला आदि ने खनन लीज को स्वीकृति देने पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सहित मंत्रिमंडल का आभार व्यक्त किया है।
अनिल गुप्ता ने कहा कि अर्की में चूना पत्थर उद्योग शुरू होने से जहां बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं स्थानीय लोगों को भी इसका लाभ पहुंचेगा। उधर इस बारे एनएमडीसी अर्की इकाई के प्रभारी महेश वर्मा ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय एवं इस्पात प्राधिकरण से मंजूरी मिलने के बाद अब राज्य सरकार ने एनएमडीसी अर्की की चूना पत्थर परियोजना की खनन लीज को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके लिए वह प्रदेश सरकार के आभारी हैं।