शैलेंद्र कालरा/शिमला
धर्मशाला के कोतवाली बाजार में दुकान चलाने वाले राजकुमार अग्रवाल का बेटा पारस अग्रवाल शुक्रवार शाम एचएएस की परीक्षा का टॉपर बन गया है। एआरसीएस के पद पर तैनात पारस ने अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशी अपनी मां अरुणा अग्रवाल को फोन कर साझा की। 30 साल के पारस की सफलता के पीछे कई ऐसी बातें छिपी हैं, जो एचएएस बनने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं।
महज 26 साल की उम्र में पारस ने एचएएस (एलाइड) में सफलता पा ली थी। इसके बाद सहायक पंजीयक सहकारी सभा भी बन गए। लेकिन जिद एचएएस (Mains)उत्तीर्ण करने की थी। कहते हैं, हार के बाद जीत होती है। इन पंक्तियों को भी पारस ने सही साबित कर दिखाया है। चाहते तो 2014 में अधिकारी का पद मिलने के बाद संतोष कर लेते। एक-दो बार मेन्स में सफलता नहीं मिली तो इरादा छोड़ भी सकते थे, लेकिन असफलताएं मिलने के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी। आज टॉपर बन कर पूरे प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं।
सबसे अहम बात यह है कि पारस ने कभी कोई कोचिंग नहीं ली। सेल्फ स्टडी के बूते ही आज एचएएस टॉपर बने हैं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से जमकर बतियाए। सीधे बताया कि एचएएस का पैटर्न आईएएस की तरह होने का काफी फायदा मिला। पूरा स्टडी मैटिरियल ऑनलाइन ही मिला। सीधे सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि पिता कोचिंग की व्यवस्था कर सकते थे, लेकिन बगैर कोचिंग के सेल्फ स्टडी के आधार पर ही परीक्षा को पार करने का इरादा शुरू से ही था।
उन्होंने बताया कि फरवरी 2017 में मेन्स की तैयारी शुरू की थी। नवंबर में परीक्षा होने तक रोजाना 4 से 5 घंटे पढ़ाई कर लेते थे। अंतिम नतीजे के अंकों को लेकर पारस ने बताया कि अंकतालिका फिलहाल नहीं मिली है। लॉ ग्रैजुएट पारस अग्रवाल का कहना है कि शुरू से ही एचएएस अधिकारी बनने का इरादा था। शाम से ही पारस को बधाईयां देने वालों का तांता लगा हुआ है। बड़ी बहन धारा अग्रवाल अपने भाई की इस बड़ी कामयाबी पर फूले नहीं समा रही।
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