शिमला (एमबीएम न्यूज): चौपाल उपमंडल में नेरवा-रोहनाट के बीच रविवार-सोमवार रात आज फिर एक दर्दनाक मंजर था। टौंस नदी से चंद मीटर की दूरी तक लुढकती हुई पहुंची एक बोलेरो कैंपर में सवार 12 में से 7 ने दम तोड़ दिया।
गौरतलब है कि इस हादसे में कल्याण सिंह ने तीन बेटियों, एक बेटे के अलावा अपनी पत्नी को हमेशा के लिए खो दिया। खुद अपने एक बेटे के साथ जीवन व मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। तकरीबन नौ सप्ताह बाद आज फिर उस हादसे की याद ताजा हो गई, जिसमें 45 जीवन चले गए थे। इस हादसे की पुनरावृति इस कारण हो रही थी क्योंकि बोलेरो कैंपर भी ठीक उसी जगह तीन मोड़ पहले खाई में लुढकी, जहां से उत्तराखंड की निजी बस टौंस नदी में समाई थी।
हैरान कर देने वाली बात यह है कि इतने बड़े हादसे के बाद भी सबक लेना मुनासिब नहीं समझा गया। निजी बस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भी ब्लैक स्पॉट पर न तो कै्रश बैरियर ओर न ही पैराफिट लगे हैं। उम्मीद की जा रही थी कि बस हादसे के बाद फौरन ही इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क के रोहनाट प्रतिनिधि ने मौके का जायजा लिया। तब इस बात का खुलासा हुआ कि कोई भी क्रैश बैरियर या फिर पैराफिट नहीं लगा था। होता तो शायद उससे टकराकर बोलेरो कैंपर खाई में लुढक़ने से बच जाती।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क पिछले एक साल से सिरमौर के साथ-साथ पड़ोसी जिला शिमला में खतरनाक सडक़ों के किनारे क्रैश बैरियर लगाने का मुद्दा उठाता रहा है। अगर पाठकों को याद हो तो कुछ महीने पहले इस बात का खुलासा भी किया गया था कि सिरमौर व शिमला जिला के चौपाल उपमंडल में आखिर क्यों सडक़ों के किनारे मंदिर बना दिए जाते हैं।
बावजूद इसके लोक निर्माण विभाग की नींद नहीं टूट रही है। मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, लेकिन युद्धस्तर पर क्रैश बैरियर लगाने का कार्य पता नहीं कब शुरू किया जाएगा। रोहनाट व नेरवा के लोगों से जब बात की गई तो सडक़ों की हालत को लेकर खासी नाराजगी जाहिर की गई। बहरहाल सरकार को नींद से जगाने की जरूरत है। अन्यथा रोज मौतें होती रहेंगी।