शिमला (एमबीएम न्यूज़) : वीरभद्र सरकार इन दिनों आउटसोर्स कर्मचारियों को खुश करने के लिए लोक लुभावन घोषणा और फैसले तो कर रही है, लेकिन उनकी यह कोशिश उल्टी पड़ सकती है। कैबिनेट द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति पर हुए मुहर लगाने के बावजूद आउटसोर्स कर्मचारी ज्यादा प्रफुल्लित नहीं हैं और वे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं।
दरअसल कैबिनेट ने आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित करने और इनकी कार्यस्थिति को बेहतर करने के लिए नीति-निर्देश बनाने को हरी झण्डी दी है। इसमें आउटसोर्स कर्मियों को नियमितीकरण या अनुबंध पर ले जाने का कोई जिक्र तक नहीं है। जबकि सरकार ने कर्मचारियों को उनकी सेवाएं अनुबंध और फिर नियमित करने का आश्वासन दिया था। मुख्यमंत्री वीरभद्र ने बाकायदा इसका एलान भी किया था।
यह भी दीगर है कि सरकार को आउटसोर्स बारे नीति-निर्देश कैबिनेट में लाने पर भी चार माह लग गए। अब भले ही एक हफते में नीति लाने का भेरोसा दिया गया है, लेकिन इतना तय है कि सरकार आउटसोर्स कर्मियों को सरकारी मुलाजिमों की तर्ज पर कुछ सविधाएं ही मुहैया करवाएगी, जैसे छुटिटयों में बढ़ोतरी, मैडिकल लीव, मैटरनिटी लीव, समय पर वेतन भुगतान, ईपीएफ व अन्य कुछ लाभ इत्यादि।
इसके अतिरिक्त सरकारी कर्मियों की तर्ज पर ठेकेदार आउटसोर्स कर्मियों को अपनी मर्जी से नौकरी से नहीं हटाने का प्रावधान भी किया जाएगा, जिसके लिए विभाग व सरकार से मंजूरी लेनी अनिवार्य है। इस बात की भी संभावना बहुत कम है कि नीति तय होने पर सरकार आउटसोर्स कर्मियों को वेतन बढ़ोतरी का तोहफा दे। जबकि आउटसोर्स कर्मचारी चाह रहे थे कि यदि उन्हें नियमित व अनुबंध पर नहीं लाया गया तो कम से कम उनका वेतन बढ़ा दिया जाए।
इधर अब आउटसोर्स कर्मचारी अपने भविष्य के प्रति चिंतित होने लगे हैं। आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के प्रदेश सचिव बिनोद शर्मा ने बताया कि पहले सरकार ने खुद आउटसोर्स कर्मियों को अनुबंध पर लाने के सब्जबाग दिखाए, लेकिन अब कैबिनेट ने इन कर्मचारियों को केवल कुछ मसलों पर नीति निर्धारण करने पर ही मुहर लगाई है। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने वायदे से नहीं मुकरना चाहिए और आउटसोर्स कर्मियों के हित में स्थायी नीति बनानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार ने यदि आउटसोर्स कर्मचारियों के हित में नीति में विशेष प्रावधान नहीं किए तो महासंघ राज्य सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुददे को अफसरशाही मुख्यमंत्री को गुमराह कर रही है।