शिमला (एमबीएम न्यूज): कहते हैं जीवन में किस्मत भी बड़े मायने रखती है। कई मर्तबा यह शब्द सार्थक होते हुए नजर आते हैं। ताजा घटनाक्रम में यह बात नवनिर्वाचित डिप्टी मेयर राकेश कुमार शर्मा के साथ भी चरितार्थ हुई है। पंथाघाटी में दुकानदारी के पेशे से जुड़े 52 वर्षीय राकेश शर्मा की किस्मत ने एक ऐसी करवट ली कि अचानक ही आज पूरे प्रदेश के केंद्र बिंदू बन गए हैं।
यकीन मानिए, भाजपा ने वार्ड नं0 26 (पंथाघाटी) से राकेश को टिकट नहीं दिया था, बल्कि एक अखबार की खबर के मुताबिक उन्हें बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने की एवज में 6 साल के लिए निष्कासित भी कर दिया गया था। पार्टी ने उनके वार्ड से मोहित ठाकुर को प्रत्याशी बनाया था। चुनावी नतीजे आने के बाद भाजपा के खाते में 17 सीटें गई।
बहुमत के लिए भाजपा को भी 18 सीटें चाहिए थी। लिहाजा 45 मतों से निर्दलीय तौर पर चुनाव जीते राकेश शर्मा को मनाने की कवायद नतीजा निकलते ही शुरू कर दी गई। यहां तक की पार्टी के नेता खुद राकेश के घर भी पहुंच गए। शनिवार को तमाम गिले-शिकवे दूर कर लिए गए। मूलत: ऊना के रहने वाले डिप्टी मेयर ने बतौर पार्षद भी पहला चुनाव लड़ा। आरएसएस व भाजपा की विचारधारा से 38 सालों से जुड़े हुए हैं।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में डिप्टी मेयर के भाई दिनेश शर्मा ने बताया कि पहली बार ही चुनाव लड़ रहे हैं, जो पंथाघाटी में ही जनरल स्टोर चलाते हैं। उधर डिप्टी मेयर पद ग्रहण करने के बाद खुद राकेश शर्मा ने कहा कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि अचानक एक दिन ऐसा भी आएगा, जब वह शिमला नगर निगम के डिप्टी मेयर बन जाएंगे।
यह रहा अंकगणित..
खास बात यह रही कि मेयर पद के चुनाव के लिए भाजपा के प्रत्याशी को 19 वोट पड़े, लेकिन डिप्टी मेयर पद के लिए राकेश शर्मा ने 20 मतों को हासिल करने में सफलता पाई। यानि कहीं न कहीं पार्षदों के बीच अपनी पैठ को भी साबित कर दिया। इस पद के लिए कांगे्रस के प्रत्याशी आनंद कौशल को 13 मत मिले। सीपीआई (एम)ने मत का इस्तेमाल नहीं किया।