बिलासपुर (अभिषेक मिश्रा) : नियमो को ताक पर रख कर इन दिनों बिलासपुर के खेल विभाग के कुछ कर्मचारी लाखो रुपए का हेरफेर कर रहे हैं। इस बात का खुलासा एक आरटीआई में हुआ। यह आरटीआई खेलो से लम्बे समय से जुड़े और बिलासपुर के प्रसिद्ध भोजनारविद नन्द शर्मा ऊर्फ नंद बोटी व बिलासपुर के समाजसेवी कर्ण चंदेल ने लगाई थी, जिसका खुलासा उन्होंने आज प्रेस क्लब बिलासपुर में पत्रकारवार्ता करके किया।
पत्रकारवार्ता में आरटीआई का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि जिला युवा सेवाएं एवं खेल विभाग बिलासपुर कार्यालय द्वारा कार्यालय व खेल छात्रावास हेतु खेल सामान व अन्य सामान की खरीद में भारी अनियमितताएं बरती जा राही है । एक विशेष इलैक्ट्रोनिक दुकान को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सारे नियमो को ताक पर रखते हुए यह गलत कार्य किए गए हैं। इस सारे हेर-फेर में हजारों रुपए के घोटाले होने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
आरटीआई से ली गई जानकारियों की प्रतियां पत्रकारों को देते हुए उन्होंने बताया कि खेल छात्रावास बिलासपुर में नए सामान खरीदने व पुराने सामान की मुरम्मत के लिए खेल विभाग ने एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी को जिला युवा सेवाएं विभाग के अधिकारी का कार्यभार देख रहे कोच श्याम कौंडल ने बनाया है, जिसमें 4 अन्य प्रशिक्षकों सहित उन्होंने अपना नाम भी सदस्य के रूप में डाल रखा है।
वहीं खेल विभाग में ही कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी इस सामान खरीदने की कमेटी में सदस्य के रूप में मनोनीत कर रखा है। खरीदे गए सामान की गुणवत्ता में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को डालना स्वयं में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। इस कमेटी का गठन कब हुआ यह जानकारी भी आर.टी.आई. में ली गई सूचना में कहीं भी अंकित नहीं है। वहीं जिन 4 दुकानों की कुटेशनें सामान खरीदने के लिए लगाई गई हैं उनमें से अमीर इलैक्ट्रोनिक्स नाम की कोई दुकान या फर्म बिलासपुर में है ही नहीं।
वहीं दो दुकानों का पता कुटेशन वाले लैटर हैड में गलत दिया गया है, जिससे पता चलता है कि यह कुटेशनें एक ही व्यक्ति द्वारा स्वयं तैयार की गई हैं। इनमें से 3 कुटेशनज का लैटर हैड भी एक ही प्रकार के टाइप अक्षरों से बनाया गया है। इन कुटेशनों की प्राप्ति दिनांक या डाक प्राप्ति नंबर कहीं भी अंकित नहीं है। कुटेशनों पर इन्हें भेजने वाली फर्म के प्रोपराइटर के नाम तक अंकित नहीं हैं। कुटेशन देने वाली 3 फर्मों के लैटर हैड पर न तो टिन नंबर अंकित है व न ही कोई फोन नंबर अंकित है। वहीं कुटेशनों में किए गए तुलनात्मक अध्ययन में 9 सदस्यीय कमेटी में से मात्र कार्यकारी जिला खेल अधिकारी व 3 सदस्यों के ही हस्ताक्षर हैं। बाकी 3 प्रशिक्षक सदस्यों के हस्ताक्षर न होना भी संदेह पैदा करता है।
नंद बोटी व कर्ण चंदेल ने बताया कि नियमो के अनुसार 50 हजार रुपए या उससे ऊपर के सामान की खरीद के लिए खुला टैंडर करना पड़ता है लेकिन आर.टी.आई. में ली गई जानकारी से यह पता लगा कि विभिन्न सामान की कुल 3 लाख 26 हजार रुपए की खरीद हुई है तथा जिसमें से 1 लाख 75 हजार रुपए के 25 कूलर खरीद लिए गए। आर.टी.आई. से मिली जानकारी के अनुसार जिस दुकान से यह कूलरों की खरीद हुई उसने मात्र 5 दिनों के अंतराल में 49 हजार के 3 व 28 हजार रुपए का एक बिल बनाया गया है। अलग-अलग बिलों का बनना भी घोटाले की आशंका को बलवती करता है।
उन्होंने बताया कि सितम्बर 2016 में इस सभी लिखित शिकायत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, पुलिस महानिदेशक संजय कुमार, प्रदेश मुख्य सचिव वीसी फारका व डीएसपी विजीलैंस को भी भेजी गई थी। अभी जानकारी में आया है कि राज्य भ्रष्टाचार एवं सतर्कता विभाग ने युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के निदेशक को 18 नवम्बर 2016 को पत्र भेज कर सारे मामले की जांच करने के लिए कहा लेकिन इस बात को हुए 7 माह बीत जाने के बाद भी इस संदर्भ में खेल विभाग ने भी कुछ नहीं किया।
नंद बोटी व कर्ण चंदेल ने कहा कि यदि अब प्रदेश सरकार ने अगले दो सप्ताह के भीतर इस पर कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की तो प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा व सारे मामले की शिकायत सीबीआई से भी की जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी आरटीआई. के माध्यम से यहां घटे कुछ और भ्रष्टाचार की जानकारियां भी जुटाई गई हैं जिन्हें भी शीघ्र सबूतों सहित सबके समक्ष लाया जाएगा।