एमबीएम न्यूज/नाहन
एनएसजी का ब्लैक कैट कमांडो व सिरमौरी लाल विवेक ठाकुर माउंट एवरेस्ट को फतेह करने निकला है। बचपन से ही होनहार लाल में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा था। मूलतः तीर्थस्थली श्री रेणुका जी के बड़ोन गांव के रहने वाले विवेक नेशनल सिक्योरिटी गार्ड की उस 16 सदस्यीय टीम में शामिल हैं,जिसे गृह मंत्रालय ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई का टास्क दिया है। सनद रहे कि परिवार संगड़ाह उपमंडल के अंधेरी से आ कर बरसो पहले बडोन में सेटल हो गया था। इस टीम में हिमाचल के तीन कमांडो शामिल किए गए हैं। इसमें एक बिलासपुर व एक लाहौल-स्पीति का बेटा भी शामिल है। टीम अपने साथ राष्ट्रध्वज के इलावा एनएसजी का फ्लैग लेकर रवाना हुई है। ताकि इसे माउंट एवरेस्ट पर फहराया जा सके।
उल्लेखनीय है कि एनएसजी कमांडोज को देश में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के अलावा कई दिग्गज वीआईपीज की सुरक्षा की जिम्मेदारी एनएसजी निभाती है। 30 मार्च को भारत सरकार के गृह सचिव ने टीम को रवाना किया था। 8 हजार 848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट नापने के लिए लगभग दो महीने का वक्त लगेगा। टीम के 30 मई को वापस पहुंचने का कार्यक्रम है। जानकारी के मुताबिक लेफिटनेंट कर्नल जयप्रकाश के नेतृत्व में टीम माउंट एवरेस्ट को फतेह करने में निकली है।
कमांडो विवेक ठाकुर ने बचपन से ही मुश्किलों का सामना किया। छोटी सी उम्र में पिता गुमान सिंह के निधन के बाद परिवार के सामने कई चुनौतियां आ गई। नवोदय विद्यालय में पढ़ाई पूरी करने के बाद विवेक ने नाहन डिग्री कॉलेज से बीएससी की शिक्षा हासिल की। चूंकि अपने परिवार की परेशानियों से बखूबी परिचित थे,लिहाजा ग्रेजुएशन के दौरान ही प्रतियोगितातम्क परीक्षा की तैयारियों में जुट गए। महज 22 साल की उम्र में सीआईएसएफ में सब इंस्पेक्टर का पद हासिल कर लिया।
गत वर्ष परिणय सूत्र में बंधे 29 वर्षीय विवेक 2018 में एनएसजी की उस टीम का भी हिस्सा थे, जिसने 6001 मीटर ऊंची देऊ टिब्बे को फतह करने में सफलता हासिल की थी। बड़े भाई कुलदीप ठाकुर ने अपनी परवाह छोड़ कर छोटे भाई विवेक की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। माँ यशोदा देवी भी अपने लाल पर गौरव महसूस करती है। 2012 में विवेक ने अर्द्धसैनिक बल(CISF) में सब इंस्पेक्टर के तौर पर सेवाएं शुरू की थी। साल 2015 में विवेक को ब्लैक कैट कमांडो के पद पर प्रतिनियुक्ति मिली। 16 सदस्यीय टीम में चार अधिकारी, चार सहायक कमांडोज व 8 रेंजर्स को शामिल किया गया।
परिवार के मुताबिक
कमांडो विवेक ठाकुर के परिवार का कहना है कि 15 अप्रैल तक एनएसजी की टीम माउंट एवरेस्ट चोटी के बेस कैंप में रहेगी, ताकि खुद को मौसम के मुताबिक ढाला जा सके। परिवार का यह भी कहना है कि विवेक बचपन से ही होशियार रहा है। परिवारिक जिम्मेदारियों को सब इंस्पेक्टर बनने के बाद बखूबी निभाने का प्रयास किया।
ऐसे बनते है ब्लैक कैट कमांडो
एनएसजी का गठन भारत की विभिन्न रक्षा बलों से विशिष्ट जवानों को छांटकर किया जाता है। एनएसजी में 53-55 प्रतिशत कमांडो सेना की पृष्टभूमि से आते हैं,जबकि शेष का चयन अर्द्ध सैनिक बलों से होता है। इन कमांडोज की अधिकतम कार्य सेवा पांच साल तक होती है। एनएसजी कमांडोज हथियार और बिना हथियार के ट्रेनिंग दी जाती है। एनएसजी कमांडो को ब्लैक कैट कहा जाता है,क्योंकि वो हमेशा काले नकाब,काले कपड़े में नजर आते हैं। उनके सिर से लेकर पैर तक कपड़ों का रंग काला ही होता है। 90 दिन की कठिन ट्रेनिंग के पहले भी एक हफ्ते की ऐसी ट्रेनिंग होती है,जिसमें 15-20 फीसदी सैनिक अंतिम दौड़ तक पहुंचने में सफल होते हैं। अंतिम हिस्से में कमाडों को आग के गोले और गोलियों की बौछारों के बीच ट्रेनिंग दी जाती है। नेशनल सिक्योरिटी गार्डए एनएसजी साल 1984 में बनाया गया था। देश में आतंकवाद से निपटने के लिए कमांडो तैयार किए जाते हैं।
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