एमबीएम न्यूज़/शिमला
राजधानी में सैंकड़ों सैहब कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सामुहिक रूप से मंगलवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इससे राजधानी के 40 हजार घरों से आज कूड़ा नहीं उठा है। नगर निगम की सैहब सोसाइटी के 700 से अधिक कर्मचारियों की नगर निगम में मर्ज करने और ठोस नीति बनाने की मांग है। बीते वर्ष सितम्बर के महीने में भी इसी मांग को लेकर वे पांच दिन की हड़ताल कर चुके हैं।
सैहब कर्मियों के अब फिर से हड़ताल पर जाने से डोर-टू-डोर गारबेज कलेक्शन योजना ठप्प हो गई है। शहर में पिछले कई सालों से डोर-टू-डोर गारबेज कलेक्शन योजना चल रही है और इसके तहत घरों, होटलों और कार्यालयों से सारा कूड़ा एकत्र किया जाता है तथा इसे एकत्र कर ठोस कूड़ा संयंत्र भेजा जाता है।
सैहब सोसाइटी कर्मचारी यूनियन के प्रधान जसवंत सिंह ने कहा कि उनकी मांग स्थायी नीति बनाने को लेकर है, ताकि सफाई कर्मचारियों का भविष्य सुरिक्षत हो। इसके लिए उन्हें नगर निगम में मर्ज किया जाए, क्योंकि वर्तमान में हमें बहुत कम मेहनताना मिल रहा है। यह मामला कई बार निगम प्रशासन से उठाया गया, लेकिन कोई बात नहीं बनी।
उधर, नगर निगम की मेयर कुसूम सदरेट ने कहा कि सैहब कर्मियों की हड़ताल के पहले दिन हालांकि डोर टू डोर योजना ठप रही, मगर शहरवासियों की सुहूलियत के लिए प्रशासन की ओर से प्रत्येक वार्ड में चार से पांच कलेक्शन सेंटर स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि शनिवार से व्यवस्था दुरूस्त हो जाएगी। उन्होंने दावा किया कि व्यवस्था को खराब नहीं होने दिया जाएगा।
सैहब कर्मियों की हड़ताल पर मेयर ने कहा कि जबसे उन्होंने निगम का पदभार संभाला है, तब से सोसाइटी की मांगों पर विचार किया जा रहा है। सफाई के लिए उन्हें दस्ताने, गर्म बूट, बरसाती आदि सामान उपलब्ध करवाया गया। इसके साथ गारबेज कलेक्टरो के वेतन में भी बढ़ोतरी करने के आदेश दिए गए थे। उन्होंने कहा कि बार-बार हड़ताल पर जाना उचित नहीं है।